कोरोना के कहर में भी सिर्फ तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा
झुंझुनू, वर्तमान में पूरा विश्व कोरोनावायरस के संक्रमण की चपेट में है डब्लूएचओ ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है जिसके चलते संपूर्ण देश में लोक डाउन लगाया गया है। लॉक डाउन की स्थिति में लंबे समय से लोग घरों में कैद हैं ऐसी स्थिति में सरकार एवं भामाशाह द्वारा गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को विभिन्न प्रकार से राशन सामग्री या तैयार भोजन पहुंचाया जा रहा है। वही आपको बता दें कि इस विश्वव्यापी महामारी ने जैसे ही राजस्थान में दस्तक भी उसी के साथ ही यहां के भामाशाह ने भी अपने खजानो के मुंह खोल दिए लेकिन सबसे बड़ी बात यह है की जो राजनेता है जो वास्तव में जनता के नुमाइंदे हैं उन्होंने सिर्फ अपने कोष से ही सहायता राशि देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। इस दौरान कई ऐसे भावुक पल भी आए झुंझुनू के सैकड़ों नन्हे-मुन्ने बालकों ने अपने गुल्लक देश की सेवा में तोड़ डाले। उनके अंदर राशि कितनी भी हो उन्होंने सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। कई स्थानों पर तो देखा गया की लोगों ने अपनी संपत्ति तक बेचकर लोगों को राहत पहुंचाने का कार्य किया। वही किसी ने अपने हज के लिए रखे हुए पैसों को भी देश सेवा में लगा दिया। इतना कुछ होने के बाद भी हमारे राजनेता जो जनता के वास्तविक नुमाइंदे हैं उनका दिल नहीं पसीजा। उन्होंने अपने खजाने से एक फूटी कौड़ी भी मुख्यमंत्री राहत कोष या प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा नहीं करवाई। यह वही राजनेता है जो अपने नजदीकी रिश्तेदारों को किसी भी नगर परिषद, पंचायत समिति, जिला परिषद में उच्च राजनीतिक पदों पर पहुंचाने के लिए पैसे को पानी की तरह बहा देते हैं। लेकिन जैसे ही कोरोना की मारामारी आई इसको देखकर भी इन राजनेताओं का दिल नहीं पसीजा। इनमें से कई राजनेता अकूत संपत्ति के मालिक हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है इसके बावजूद भी उन्होंने अपने निजी बचत से कुछ भी देना मुनासिब नहीं समझा और तो और लंबे समय तक झुंझुनू जिले के राजनेताओं को जनता ढूंढती रह गई कि कोरोना के काल में अचानक से हमारे नुमाइंदे कहां गायब हो गए। देर सवेर उन्होंने जनता की सुध ली तो अपने कोष से राशि स्वीकृत करवाकर अपने कर्तव्यों की पूर्ति करली बिलकुल वैसे ही तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा। आपको बता दें कि ऐसा कोई भी राजनेता सामने नहीं आया जो कि अपने मेहनत की कमाई की जमा पूंजी राशि में से कुछ योगदान इस विपदा के लिए दिया हो। खैर आखिर हमारे राजनेताओं ने साबित कर ही दिया कि वह वास्तव में पक्के राजनेता है भले ही नन्हे-मुन्ने बच्चों के गुल्लक टूट जाएं जो उन्होंने एक एक रूपये अपनी किसी आकांक्षा को पूरा करने के लिए रखे थे। लेकिन ऐसे विपदा काल में भी हमारे राजनेताओं के गुल्लक इतने मजबूत हैं कि टूटने का नाम तक नहीं लेते हैं।