कस्बे की सडक़ें काफी समय से क्षतिग्रस्त होकर जगह-जगह खड्डे व पूरी सडक़ के दोनों छोर पर पांच-छ: फूट तक मिट्टी चढ़ चूकी है। मुख्य बस स्टैण्ड, लोहरवाड़ा बस स्टैंड, सरकारी स्कूल के सामने की मुख्य सडक़ मार्ग पूरी तरह से नष्ट होकर खड्डे बन कर उसमें नालियों का गंदा पानी भरा रहता है। वाहनों को ही नहीं राहगीरों को भी आवागमन में काफी परेशानी होती हैं। वाहनों के आवागमन से सडक़ पर केवल कंक्रीट व मिट्टी होने के कारण सडक़ पर धूल उड़ती रहती हैं, इससे दुकानदारों के साथ आमजन भी काफी परेशान हैं। यहां के दुकानदारों व आमजन को उडऩे वाली बारीक धूल से सांस लेने में काफी परेशानी होती हैं। जिससे कई प्रकार की श्वास संबंधी बीमारियां फैल रही हैं। बारिश के दिनों में तो इस सडक़ पर पानी का दरिया बन जाता हैं। जिससें आमजन व वाहनों का निकलना भी दूभर हो जाता हैं। कई बार राहगीर ही नहीं बल्कि वाहनों के साथ सवार भी गिर जाते हैं। यहीं हाल रामगढ़ व जीणमाता जाने वाली सडक़ो का हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग, प्रशासन व ग्राम पंचायत क्षस्तिग्रस्त सडक़ पर ध्यान नहीं देते रहा है। जिसके कारण दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है। ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त हैं।
हादसे को दावत देता रेलवे का अंडरपास खंडेला सडक़ मार्ग पर रेलवे फाटक कालियावास स्थित अंडरपास पर सीमेंटेड सडक़ तो बना दी गई लेकिन सुरक्षा को दरकिनार करते हुए अंडरपास पार के मध्य झोल में गहरी खाई होने के बावजूद भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किये गये हैं। न तो कोई दीवार बनाई गई, न ही कोई संकेत चिह्न है और न ही रिफ्लेक्टर लगाये गये हैं। वहीं अंडरपास के दोनों किनारों को भी सडक़ से नहीं जोड़ा गया हैं। जिससे गहरे गड्ढे होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। कई बार यहां पर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। विभागीय अधिकारियों को बार-बार अवगत करवाने के बावजूद सडक़ को नहीं सुधारा जा रहा हैं। शायद प्रशासन व रेलवे को किसी बड़े हादसे का इंतजार हैं।