हर आंख नम, फिर भी देश सेवा का दिखा जज्बा
झुंझुनू, जिले का एक ओर लाडला आज शनिवार को देश सेवा के लिए अपना इतिहास रच गया। सैनिकों और शहीदों के इस जिले की वीर गाथा आज देश में किसी से छिपी हुई नहीं है। जब देश सेवा की बात आती है तो झुंझुनू जिले का नाम बडे फर्क और सम्मान से लिया जाता है और यह संभव होता है यहां के जाबाज लाडलों की बदौलत। ऐसा ही इतिहास को दोहराता हुआ जिले का एक ओर बेटा आज शनिवार को अंतिम विदाई ले गया। आज शनिवार को जिले के उदयपुरवाटी तहसील के हुक्मपुरा गांव के लाडले नायब सुबेदार शहीद समशेर अली खान को सुपुर्द ए खाक किया गया। जैसे ही शहीद का प्रार्थिव देह गुढागौडजी कस्बें पंहुचा वहां गगनभेदी नारों के बीच लोगों ने नम आखों से अपने लाडले के अंतिम दर्शन किये। यहां से युवाओं ने तिरंगा यात्रा निकाल कर अपने लाडले को सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव तक लेकर गयें। इस दौरान देश भक्ति से ओत-प्रोत नारों से माहौल्ल देशभक्तिनुमा बन चुका था। जैसे ही बेटे का शव घर के आंगन पंहुचा वैसे ही वहा पर परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था, वहां खडे हर व्यक्ति की आंख नम थी, परन्तु ऐसे दुख के माहौल्ल में भी देश सेवा के लिए लगाए जा रहे नारों से यह साफ नजर आ रहा था कि दुख की घडी में भी यहां के लोग देश सेवा के जज्बें को हमेशा सजोकर रखते है। सामाजिक रिवाजों के बाद शहीद की अंतिम विदाई की गई। यहां पर शहीद के पिता को तिरंगा भेट किया गया तथा सेना व पुलिस की टूकडी की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहीद का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनकी प्रार्थिव देह पर वहां उपस्थित लोगों ने पुष्पचक्र अर्पित किये। शहीद को अंतिम विदाई देने वालों में जिले के सांसद नरेन्द्र कुमार, जिला कलेक्टर उमर दीन खान, पुलिस अधीक्षक जगदीश चन्द्र, विधायक राजेन्द्र गुढा, एसडीएम उदयपुरवाटी, फतेहपुर विधायक, सीकर नगर परिषद सभापति, सैनिक कल्याण अधिकारी कमाण्डर परवेज अहमद, नवलगढ डीवाईएसपी सहित बडी संख्या में जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं ग्रामीणजन उपस्थित रहे। 42 वर्षीय समशेर अली वर्तमान में अरूणाचल प्रदेश के टेंगा में 24 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात थे। वे 9 अप्रेल 1997 को जबलपुर में सेना में भर्ती हुए थे। वे भारत-चीन सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए। वे उनकी प्रार्थिव देह शनिवार को उनके पैतृक गांव पंहुची, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको सुपुर्द ए खाक किया गया। परिवार में शहीद के पिता सलीम अली, मां नथी बानो, पत्नी सलमा बानो, दो बेटे एक 16 वर्षीय आलम शेर व दूसरा 12 वर्षीय गुलशेर तथा आठ साल की बेटी शाहीन है, तीनों बच्चे अभी पढाई कर रहे है। समशेर अली अपने तीन भाईयों में सबसे बडे थे। उनसे छोटा भाई जंगशेर अली भी सेना में सेवारत है। शहीद के परिवार की चार पीढियों सहित कुल 17 जने देश सेवा में है। इनमें से तीन रिटायर्ड हो चुके है। समशेर अली के पिता सलीम अली भी सेना में नायब सुबेदार के पद से रिटायर्ड है। सलीम के पिता फैज मोहम्मद भी फौज में सेवा दे चुके है व उनके पिता बागी खां भी देश सेवा में रहे।