मकर सक्रांति त्यौहार पर पतंगबाजी की परम्परा रही हैं परंतु इस पतंगबाजी मेँ नाइलॉन, प्लास्टिक और काँच के पाउडर मिक्स कर बनाए गए चाइनीज मांजे काम मे लिए जा रहे हैं जिससे हर वर्ष हजारों पक्षियों के घायल होने और मरने की घटनाएँ होते हैं| पर्यावरण प्रदूषण, दूषित दाने, ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरों से जूझ रहे पक्षियों के लिए ये त्यौहार किसी आपदा की तरह आता हैं| हम निम्नलिखित सावधानियाँ रख कर पक्षियों को बचा सकते हैं-
1. सुबह 9 बजे के बाद और शाम 5 बजे से पहले (अर्थात दिन चढ़ने के बाद या दोपहर के वक़्त) ही पतंग उढ़ाये क्योंकि सुबह जल्दी और शाम के वक़्त पक्षियों की सक्रियता अधिक रहती हैं| वे घोंसले से निकलकर दाना चुगने जाते हैं और वापस लौट कर आते हैं|
2. चाइनीज माँझे का प्रयोग बिल्कुल भी नही करे बल्कि कॉटन माँझे का उपयोग करके ही पतंग उड़ाए|
3. अगर संभव हो तो खुले मैदान मे पतंग उड़ाए जहां बिजली या टेलीफोन के खंबे या पेड़ न हो| पतंगबाजी के बाद पेड़ों मेँ उलझे माँझे को निकाल सके तो ज्यादा ठीक रहेगा क्योंकि पेड़ पर बैठने वाले पक्षी उस माँझे मे फँस सकते हैं| शेष बचे माँझे को सावधानी से डिस्पोज़ करें|
4. पतंजबाजी से पक्षी, चमगादड़, और बंदर घायल हो जाते हैं| पक्षियों मे घाव, फ्रेक्चर, नर्व डेमेज या जाइंट-डिसलोकेशन हो जाता हैं| चोंच बंद हो जाती हैं|
5. घायल पक्षी मिलने पर आस-पास भीड़ न करे क्योंकि पक्षी डर से शॉक मे आ सकता हैं| अतः खुली हवा मे रखे ताकि पर्याप्त ऑक्सिजन मिल सके||
6. पक्षी को जरूरत हो तो सी.पी.आर. (CPR- Cardio Pulmonary Resuscitation- कार्डियो पल्मोनेरी पुनरुत्थान) मदद देवे| इसके लिए पक्षी की चोंच मे मुंह से फूँक मारे और सीने की “कील-हड्डी” (Keel bone) पर 1-3 अंगुलियाँ रख कर अंगुलियों का दबाव देवे| 40-60 दबाव प्रति मिनिट दिये जाने चाहिए|
7. घायल पक्षी भूख-प्यास और शॉक से मर जाते हैं| अतः चिकित्सा के साथ-साथ इनको दाना-पानी उपलब्ध करवाए|
8. घायल पक्षी की प्राथमिक चिकित्सा की जा सकती हैं| जैसे- घाव साफ करना, चोंच मे कुछ फंसा हो तो उसको निकालना, घाव पर पोवीडिन आयोडिन ओइंटमेंट लगाना|
9. पक्षी का तुरंत वेटरनरी डॉक्टर से उपचार करवाएँ|
10. अपने आस पड़ौस और मित्रों मे पक्षियों को बचाने का जागरूकता अभियान चलाये, इसके लिए सोशल मीडिया की भी मदद ले सकते हैं|