पैतृक गांव जैतपुरा में हुआ अंतिम संस्कार
एक ही माह में दो लाडलों की शहादत
झुन्झुनू, झुंझुनूं जिले का एक और लाडला देश सेवा में अपने प्राणों की आहुति हंसते-हंसते दे गया। अगस्त माह में यह दूसरा मौका था कि झुंझुनूं के लाड़ले तिरंगे में लिपट कर आए। 13 अगस्त को माली गाँव के सूबेदार राजेन्द्र प्रसाद की अंत्येष्टि की गई थी। वहीं 9 दिन बाद ही आज जैतपुरा के हवलदार शहीद सतपाल सिंह की अंत्येष्टि की गई। राजपूताना राइफल्स के जवान और जैतपुरा के रहने वाले 39 साल के हवलदार सतपाल सिंह 21 अगस्त की सुबह शहीद हो गए थे। वह राजौरी (जम्मू-कश्मीर) आतंकी हमले में घायल हुए थे। पिछले करीब 10 दिन से उनका इलाज आर्मी हॉस्पिटल में चला, पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
झुंझुनूं जिले के गांव जैतपुरा में आज अंतिम संस्कार कर दिया गया है। शहीद सतपाल के बेटे शांतनू ने चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान 11 राज राइफल्स के रिटायर्ड जवानों के साथ लोगों ने नारे लगाकर नम आंखों से विदाई दी। पति के अंतिम दर्शन कर वीरांगना बेसुध हो गई। शहीद सतपाल के बच्चे अपने ताऊ नायब सूबेदार से लिपटकर रोए । इससे पहले शहीद की पार्थिव देह गमगीन माहौल में उनके घर लाई गई। भावुक लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पड़े। बच्चे, युवा, महिलाएं, बड़े-बुजुर्ग तिरंगा हाथ में लिए भारत की माता की जय… सतपाल अमर रहे… जैसे नारे लगा रहे थे। घर पर परिवार की महिलाएं-पुरुष और गांव के लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर शहीद के अंतिम दर्शन किए। अंतिम दर्शन के बाद वीरांगना विंतोष बेसुध हो गईं। बच्चों ने मकान की छत से पिता के अंतिम दर्शन किए।
पार्थिव देह पहुंचने पर सलामी देने के बाद पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। बड़े भाई नायब सुबेदार राजेश कुमार, बेटे शांतनु, भतीजे नीरव को तिरंगा सौंपा गया। वीरांगना विंतोष गृहिणी हैं। 15 साल की बेटी प्रीत 11वीं में पढ़ रही है जबकि बेटा शांतनु (12) नौवीं क्लास में। दोनों बच्चे पिलानी में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। शहीद की माता का नाम बादामी देवी है। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा, कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुडी, एसपी मृदुल कच्छावा, सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनिया, बुहाना प्रधान हरिकृष्ण यादव, सूरजगढ़ प्रधान सत्यवान सिंह पहुंचे। इस दौरान मंत्री ने गुढा ने कहा कि वीरांगना को ईश्वर संबल दे। इस नुकसान की पूर्ति नहीं की जा सकती है। हमें गर्व है कि शहीद सतपाल का परिवार सेना को समर्पित है।