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नये फौजदारी कानूनों को लागू करने से रोकने को लेकर राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन

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झुंझुंनू, एक जुलाई से लागू होने वाले नये फौजदारी कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम समाज के विभिन्न तबकों और न्याय बिरादरी की चिंताओं के मध्यनजर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी-लेनिनवादी ) लिबरेशन की जिला कमेटी राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत इन औपनिवेशिक जमाने के खतरनाक कानूनों से ज्यादा कठोर होने के कारण इसको वापिस लेने के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम जिला कलेक्टर झुंझुंनू को उसकी अनुपस्थिति में उनके पी ए को ज्ञापन दिया । ज्ञापन में कहा गया कि 146 विपक्षी सांसदों के निलंबन के समय इन कानूनों को बिना संसद में चर्चा के इसको पास करवा लिया । अपराधों के रोकथाम के नाम पर लोकलुभावन तरीके से प्रचारित किया जा रहा है जबकि इन कानूनों ने पुलिस को असीमित अधिकार दे दिया । नागरिक अधिकारों, भूख हड़ताल,प्रदर्शन व बोलने की स्वतंत्रता को भी अपराध की श्रेणी में लाया जा रहा है । पुलिस अभिरक्षा की अवधि को 15 दिन से बढ़ाकर 60 या 90 दिन कर दिया । न्याय संहिता में धर्म को भीङ हिंसा के कारणों के तौर पर शामिल नहीं किया । मनमानी व अमानवीय सजाओं के बतौर इसके दुरूपयोग की संभावनाएं बढेंगी। भाकपा माले ने मांग की कि इन कानूनों पर संसद में व्यापक चर्चा के बाद ही लागू करवायें । ज्ञापन देने वालों में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी-लेनिनवादी ) के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड फूलचंद ढेवा, जिला सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि, अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष कामरेड ओमप्रकाश झारोङा, कामरेड इंद्राज सिंह चारावास, कामरेड मनफूल सिंह, आल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड राजवीर कुलङिया शामिल थे ।

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