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विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा
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झुंझुनूं, लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम तथा बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा एक निजि स्कूल में पढऩे वाली नाबालिक शिष्या से उसी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक सुभाष सोडा पुत्र रामदेवराम मेघवाल निवासी बलरिया पुलिस थाना मुकन्दगढ़ को अपनी ही नाबालिक शिष्या के साथ दुष्कर्म के मामले में 10 वर्ष के साधारण कारावास की सजा दी है। मामले के अनुसार 14 वर्षिय नाबालिग पीडि़ता की माता ने 3 मई 2015 को एक रिपोर्ट पुलिस थाना मुकन्दगढ़ पर दी कि उसकी पीडि़ता पुत्री कक्षा 9 में ग्राम बलरिया स्थित एक निजी विद्यालय में पढ़ती है। इसी विद्यालय का शिक्षक सुभाष सोडा जो इसी विद्यालय में राजस्थान अध्ययन का शिक्षक है तथा वह उसकी पीडि़ता बेटी से कई दिनो से अश£ील एवं अभद्र व्यवहार करता रहा है तथा सुभाष सोडा उसके घर के सामने ही रहता है तथा उसकी पुत्री को अश£ील हरकतो के साथ डराता भी रहता था कि यदि किसी को बताएगी तो वह उसके विषय राजस्थान अध्ययन में फेल कर देगा तथा स्कूल से बाहर निकाल देगा। रिपोर्ट में बताया कि पिछले दिनो उसकी बेटी बहुत चुप रह रही थी तो उसने अपनी बेटी से सारी बात पुछी तो उसने बताया कि जब वह सुभाष सोडा के घर अपनी मां के कहे अनुसार धनिया लेने गयी तो सुभाष सोडा उसकी बेटी पीडि़ता को बाथरूम में ले गया व बलात्कार किया। इस कुकर्म से उसकी पुत्री गर्भवती हो गयी जिसका पता उस वक्त लगा जब उसकी पुत्री के पेट में जोरो से दर्द होने लगा व उसके गुप्तांग से रक्त स्त्राव होने लगा तो उन्होंने अपनी बेटी जिसकी हालत बहुत खराब थी को लेकर राजकीय अस्पताल नवलगढ़ गयी जहां पर चिकित्सक ने पुलिस कार्यवाही करने का सुझाव दिया किन्तु उन्होंने लोक लाज की वजह से पुलिस कार्यवाही से मना कर दिया तो चिकित्सक ने उसकी बेटी जो उस समय उसकी हालत बहुत खराब थी के पेट में से बच्चा निकालकर उसकी जान बचाई और अगर ऐसा नही करता तो उसकी बेटी की जान भी जा सकती थी। इससे वह स्वयं सदमें में आ गयी व सदमे से उभरकर जब वह बाहर आयी तो उसने अपने ननदोई के पुत्र प्रहलादराम जो कि दिल्ली पुलिस में सबइंस्पेक्टर है, को बताया तो उसने केस करने का सुझाव दिया जिस पर वह 3 मई 2015 को अपनी पुत्री व प्रहलाद के साथ मुकन्दगढ़ थाने पर आई। पुलिस ने इस रिपोर्ट पर दुष्कर्म सहित पोक्सो एक्ट आदि में मामला दर्ज कर बाद जांच शिक्षक सुभाष सोडा के विरूद्ध बलात्कार, पोक्सो एक्ट आदि में चालान सम्बन्धित न्यायालय में पेश कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह शेखावत ने इस मामले में कुल 12 गवाहान के बयान करवाये व 29 दस्तावेज प्रदर्शित करवाये। विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह ने न्यायालय में तर्क दिया कि एक अध्यापक द्वारा इस तरह का घिनौना कृत्य करना एक गंभीर प्रकृति का अपराध है जिसे सख्त सजा दी जाये। न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विश£ेषण करते हुये आरोपी सुभाष सोडा को उक्तानुसार दण्ड से दण्डादिष्ट करते हुये उस पर पांच हजार रूपये जुर्माना भी किया तथा जुर्माना अदा नहीं करने पर उसे दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने का भी आदेश दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी लिखा कि आरोपी का एक ही कृत्य पोक्सो अधिनियम एवं भारतीय दण्ड संहिता के तहत आता है। अत: दोनो में ही दोष सिद्ध करने के बावजूद एक अपराध होने से साथ-साथ एक ही दण्ड से दण्डित करना उचित प्रतीत होता है। इस कारण न्यायालय ने उपरोक्तानुसार आरोपी को दण्डित किया।