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शिक्षा विभाग के 4,05,633 के करीब कार्मिक झेलेंगे वेतन कटौती की मार-व्यास

महंगाई बढ़ाने व महंगाई भत्ते को रोकने से हुई शिक्षको की आर्थिक क्षमता कमजोर

चूरू (दीपक सैनी) राजस्थान राज्य के पुलिस व चिकित्सा कर्मचारी को छोड़कर शेष शिक्षको व कार्मिको के वेतन से प्रतिमाह 1 व 2 दिन का वेतन कटौती करने, मार्च के 16 दिनों के वेतन को स्थगित करने पर राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के शिक्षको में आक्रोश व्याप्त है। महामंत्री अरविंद व्यास ने बताया कि राज्य के शिक्षा विभाग में 4 लाख 5 हजार 633 के करीब शिक्षा विभाग में कार्यरत कार्मिक है। शिक्षको के कुल वेतन में से 1 माह का वेतन तो आयकर चुकाने में ही चला जाता है शेष 11 माह के वेतन में अपना गुजारा चलता है इनमें से भी वेतन स्थगित करना व प्रतिमाह 1 व 2 दिन वेतन कटौती करने निर्णय शिक्षको की आर्थिक क्षमता को कमजोर करता है अतः यह निर्णय पुनर्विचारणीय है। व्यास ने बताया कि राज्य में कार्यरत कार्मिको में प्रधानाचार्य 9710, मा वि प्रधानाध्यापक 2446,व्याख्याता 42105, कोच 19, वरिष्ठ अध्यापक 61679, उप्रावि प्रधानाध्यापक 6600, लेवल 1 शिक्षक 118194, लेवल 2 शिक्षक 84696, प्रबोधक 18307,शारीक्षिक शिक्षक 18577,लेब असिस्टेंट 3294, पुस्तकालयाध्यक्ष 2194, सहायक प्रशासनिक अधिकारी 1409,वरिष्ठ सहायक 4413, कनिष्ठ सहायक 12665, जमादार 135, लैब बाय 426, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 7947, शिक्षाकर्मी 2450 तथा संस्कृत शिक्षा विभाग के शिक्षक तकरीबन 8345 कुल राज्य में 405633 के करीब कार्मिक कार्यरत है। जो वेतन कटौती की मार झेलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। संगठन के मंडल सयुंक्त मंत्री राजवीर सिंह राठौड़ ने कहा कि एक शिक्षक जो कि लेवल 12 में कार्यरत है उसके मार्च 20 में कोरोना रिलीफ फंड में कटौती राशि 5932 रुपये, माह मार्च के 16 दिनों के स्थगित वेतन 39549 रुपये, डीए फ्रिज 4 प्रतिशत जो कि जनवरी 2020 से माह मार्च 2021 तक कि राशि बनती है 29856 रुपये ,पीएल सरेंडर रोकने के कारण वंचित राशि 34074 रुपये,माह सितंबर 20 से प्रतिमाह वेतन में से 1 दिन की कटौती करने पर 18403 रुपये इस प्रकार एक वर्ष में कुल राशि 127814 रुपये बनती है। इसी प्रकार यदि कोई कार्मिक लेवल 11 में कार्यरत है तो उसके वेतन भत्तों व स्थागित वेतन भत्तों में 92221 रुपये की राशि एक वर्ष में काटी जाएगी। प्रधानाचार्य ,व्याख्याता, शिक्षा अधिकारियों,मावि प्रधानाध्यापक व व्याख्याताओ की यह राशि और भी अधिक आएगी। यदि इन दोनों का औसत निकाला जावे तो यह 110018 रुपये की मार 1 वर्ष प्रत्येक कार्मिक को झेलनी पड़ेगी। ऐसे में मनमाने तरीके से राशि वसूल कर शिक्षा विभाग के कार्मिको का शोषण करने की कार्यवाही शिक्षक बर्दाश्त नही करेंगे।वित्तीय आपातकाल घोषित किये बिना वेतन कटौती संविधान के अनुच्छेद 21 व 300 ए के विपरीत राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेशाध्यक्ष सम्पतसिंह ने बताया कि कोविड 19 महामारीं के नाम पर शिक्षको के वेतन से कटौती व अन्य भुगतानों पर रोक लगाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के विपरीत है।वर्तमान में प्रदेश की आर्थिक स्थितियां सामान्य है ऐसे में वित्तीय आपातकाल घोषित किये बिना वेतन की कटौती करने संविधान के खिलाफ है। सम्पतसिंह ने बताया कि आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा रीत पिटीशन संख्या 128/2020 डी.एल कामेश्वरी बनाम आंध्रप्रदेश राज्य मामले में हाल ही में दिनाक 11 अगस्त 2020 के निर्णय में स्पष्ट निर्णय दिया गया है कि वित्तीय आपातकाल घोषित किये बिना वेतन स्थगित करना या उसमे कटौती करना संविधान के अनुच्छेद 21 व 300 ए के विरुद्ध है। ऐसे में वेतन कटौती के आदेश वापस लिए जाने योग्य है। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए संगठन प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार सैनी ने कहा कि शिक्षको के वेतन व भत्तो की गणना सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों की समीक्षा के उपरांत भी उसमे कटौती करने के बाद स्वीकृत किये जाते रहे है ।शिक्षको के वेतन भत्तो को विधायको की तरह हर दो-तीन साल में ध्वनिमत से पारित करने की व्यवस्था नही है। ऐसे में बढ़ती मंहगाई में शिक्षक अपना व अपने परिवार का जीवन यापन के साथ मकान, वाहन व अन्य पर्सनल लोन के बैंक से लिये कर्जो को कैसे चुका पाएंगे। जितनी कटौती वह अपने लोन चुकाने करता है उसके समान राशि अपने वेतन से प्रतिमाह कटौती करते हुए एवं वेतन स्थगित कर वसूल कर ली जाती है तो शिक्षक कैसे अपने लोन भरेगा और अपना परिवार चलाएगा यह विचारणीय है। संगठन के जिला मंत्री शिव कुमार शर्मा ने कहा कि शिक्षको के पास वेतन के अतिरिक्त कोई आय नही होती तथा प्रत्येक वेतनभोगी कर्मचारी अपने वेतन के अनुसार जीवन स्तर व भविष्य की योजना तैयार करता है। इस आधार पर शिक्षको के मकान, वाहन शिक्षा लोन ले रखे है। इसके अतिरिक्त घरेलू खर्चो के साथ बीमा किश्त भी भरनी होती है। जुलाई 19 के बाद मंहगाई भत्ते में किसी प्रकार की वृद्धि नही किये जाने एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ती मंहगाई के कारण तुलनात्मक शिक्षको की आर्थिक क्षमता कम हुई है अतः वेतन कटौती के आदेश वापस लिए जावे एवं स्थगित वेतन का भुगतान कर शिक्षको को राहत प्रदान की जावे ।ताकि राज्य कर्मचारियों में सरकार के प्रति विश्वास बना रहे। संगठन के जिलाध्यक्ष रामेश्वर खीचड़ ने कहा कि शिक्षक पद कोई तकनीक विशेषज्ञ का पद नही है ऐसे में शिक्षको के पास पृथक से प्रेक्टिस कर अतिरिक्त आय अर्जित कर पाने जैसा अन्य कोई आधार नही है। वह अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए वह अपने मासिक वेतन पर पूर्णतया निर्भर है। ऐसे में सौतेले व भेदभावपूर्ण तरीके से वेतन कटौतियां, वेतन भत्ते स्थगित करना अन्ययपूर्ण कदम है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश संगठन मंत्री प्रहलाद शर्मा ने बताया राज्य में पुलिस व चिकित्सा कार्मिको को छोड़कर शेष समस्त कर्मचारियों व शिक्षको के वेतन कटौती करने तथा वेतन भत्ते स्थगित करने में भेदभाव व सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। पूर्व में वेतन से 5,4,3,2,1 दिन के वेतन कटौती की जा चुकी है और 16 दिनों के वेतन, बकाया मंहगाई भत्ते व सरेंडर रोका दिया गया। शिक्षको के लिए 1 दिन व व्याख्याताओ ,प्रधानाचार्यो व शिक्षा अधिकारियों के लिए 2 दिन वेतन कटौती के आदेश भी भेदभावपूर्ण है। शिक्षको के वेतन से औसतन 3 से 6 हजार रुपये प्रतिमाह कटौती किये जाने एव 3 से 6 हजार रुपये प्रतिमाह आयकर चुकाने के बाद शेष रहे वेतन पर शिक्षको अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए निर्भर रहना पड़ेगा। जो अन्यायपूर्ण कदम है। राज्यभर में संगठन की समस्त उपशाखाओं द्वारा संबंधित उपखंड अधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री,शासन सचिव एवं शिक्षा मंत्री महोदय को 7 सितंबर 20 को ज्ञापन सौपे गये।दिनाक 8 सितंबर 20 से 15 सितंबर 20 तक शिक्षको द्वारा मेल कर कटौतियों का विरोध किया जा रहा है।दिनाक10 सितंबर 20को शिक्षको ने काली पट्टी बांधकर राज्य के हजारों शिक्षको ने विरोध दर्ज करवाया ।आज 13 सितम्बर 2020 को प्रत्येक संभाग स्तर पर प्रेस वार्ता के जरिये संगठन के मत को प्रस्तुत करते हुए वेतन भत्तो को स्थगित करने व प्रतिमाह वेतन कटौती के आदेश वापस लिया जाए अन्यथा प्रान्त की स्थाई समिति के निर्णय के बाद आगामी समय मे उग्र आन्दोलन किया जावेगा।

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