मूल निवासी का दर्जा, फिर भी प्रवासी जैसा व्यवहार
चूरू , निकटवर्ती राज्य हरियाणा से शेखावाटी संभाग में विवाहित आरक्षित वर्ग की महिलाएं इन दिनों सौतेले व्यवहार का शिकार हो रहीं हैं | राज्य सरकार के विभिन्न भर्ती विभागों ने उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण के लाभ से वँचित करते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया है | एएनएम, जीएनएम, रीट व पीटीआई अध्यापक भर्ती में सैकड़ों महिलाएं इस भेदभाव का शिकार हो चुकी हैं | शेखावाटी संभाग के पिलानी, चिड़ावा, सूरजगढ़, खेतड़ी, मुकुंदगढ़, झुंझुनू, उदयपुरवाटी,राजगढ़, मलसीसर, मंड्रेला आदि क्षेत्रों में इन महिलाओं की संख्या हजारों में है | ये महिलाएं मायके एवं ससुराल दोनों ही जगह आरक्षित वर्ग में हैं | शादी उपरांत इनके मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र, आधार, वोटर आईडी यहीं की बन चुकी हैं तथा मायके का मूल निवास एवं अन्य कागजात कानूनन निरस्त हो चुके हैं | शादी के आधार पर ये महिलाएं राजस्थान की स्थायी निवासी हैं | लेकिन प्रदेश सरकार के विभिन्न भर्ती विभाग इन्हें ‘प्रवासी’ के नाम से आरक्षित एससी,एसटी, ओबीसी वर्ग के लाभ से वँचित कर रहें हैं और मायके में आरक्षण की मांग करने की सलाह दे रहे हैं | लिहाज़ा अब आरक्षण के मामले में ये महिलाएं न घर की रहीं हैं – न घाट की| उक्त प्रकरण की गुत्थी सुलझाने के लिए प्रयासरत राजगढ़ निवासी एडवोकेट हरदीप सिंह सुन्दरिया के मुताबिक यह समस्या प्रदेश के 23 सीमावर्ती जिलों में पनप चुकी है | लेकिन शेखावाटी अंचल की बहुत बड़ी सीमा हरियाणा राज्य के लगती है | यहाँ प्रभावित महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है | सरकार को प्रवासी व्यक्ति और विवाहित महिला की कानूनी स्थिति को अलग अलग समझने की जरूरत है | कानूनन आरक्षित वर्ग की ये महिलाएं आरक्षण का हक़दार हैं | सरकार व जनप्रतिनिधियों को समय रहते इस समस्या का सकारात्मक समाधान निकलना चाहिए |