नरेगा से किसानों के खेत संवारेंगे
झुंझुनूं, ग्रामीण विकास तथा पंचायतीराज विभाग की योजनाओं में नियमित बजट नही मिलने के कारण स्थानीय विकास तथा लोगों के रोजगार की भरपाई अब केन्द्र प्रवर्तित महात्मा गांधी नरेगा योजना से की जायेगी। गत वर्ष तक जिले में नरेगा योजना में जोहड़ खुदाई के नाम पर मिट्टी इधर उधर करने के काम ज्यादा लिये गये थे, जिसके कारण स्थाई एवं उपयोगी सम्पतियों का सृजन नही हो पाया था। ग्राम पंचायतों को अन्य योजनाओं में बजट मिलते रहने के कारण नरेगा पर्याप्त ध्यान नही दिया गया था। जिला परिषद के स्तर पर जिले की आवश्यकताओं की समीक्षा के उपरांत तय किया गया है कि चालू वर्ष में अनुसूचित जाति, जनजाति, के परिवारों को प्राथमिकता देते हुऐ सभी वर्गों के एक हेक्टेयर सिंचित तथा 2 हेक्टेयर असिंचित भूमि धारण करने वाले लोगों के खेतों में पेयजल संग्रहण हेतु टांकों, मेड़बंदी, पशुशेड, घरेलू बगीचा आदि कामों को प्राथमिकता से स्वीकृत किया जावे। ऐसे निजी कार्यों के लिये प्रत्येक परिवार नरेगा योजना में 3 लाख रुपये तक की सरकारी सहायता प्राप्त कर सकता है। जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट द्वारा जिले में एकल या नोशनल शेयर के रूप में 2 हेक्टेयर तक खातेदारी भूमि धारण करने वाले परिवारों का आह्वान किया गया है कि ग्राम पंचायत के सरपंच, प्रशासक, या तकनीकी सहायक से संपर्क कर योजना में लाभार्थी के रूप में आवेदन करें। जिन परिवारों ने गत वर्षों में निजी लाभ के काम करवा लिया है या जिनके पास भूमि नही है, उन्हें चारागाह भूमि विकास, वृक्षारोपण, रास्ता दुरुस्ती, आदि कामों पर साल में 100 दिन का रोजगार दिया जायेगा। जिले में नरेगा योजना के क्रियान्वयन के लिये 60 अभियंता, 300 से अधिक कनिष्ठ सहायक, 55 लेखा सहायक तथा कंप्यूटर ऑपरेटर की फ़ौज नियुक्त होने के बावजूद प्रतिदिन 20 हजार श्रमिकों को रोजगार नही दे पाने पर चिन्ता प्रकट की गई है, तथा सीईओ जाट द्वारा सभी को निर्देश दिये गये है कि प्रति पंचायत औसत 100 से कम श्रमिक नियोजित करने वाले सभी संबंधित कार्मिकों को नरेगा से उठने वाला उनका नियमित वेतन दिया जाना संभव नही होगा तथा पद राज्य सरकार के पक्ष में समर्पित करने होंगे।