योग एवं नुचुरोपैथी विभाग द्वारा
झुंझुनू, राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर आज श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबडेवाला विश्वविद्यालय में योग एवं नुचुरोपैथी विभाग द्वारा ‘व्यक्तिगत भलाई और जीवन शैली रोगों के प्रबंधन में योग, नेचुरोपैथी एवं आयुर्वेद की भूमिका’ इस विषय पर ऑनलाईन राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सरस्वती वंदना के साथ सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की रजिष्ट्रार महोदया डॉ. मधु गुप्ता ने सम्मेलन की सफलता हेतु आर्शिवाद दिए। सम्मेलन के संयोजक एवं योग एवं नेचुरोपैथी विभाग के प्रमुख डॉ. सागर कछवा ने सम्मेलन की भूमिका प्रस्तुत करते हुए बताया कि ‘ प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने तथा जीवन शैली में बदलाव करके बीमारीयों को रोकने के लिए और जीवन शैली के रोगों के प्रबंधन में योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद की भूमिका पर विचार-मंथन करने इस सम्मेलन का आयोजन किया गया।’ सम्मेलन में दिल्ली होमियोपैथी बोर्ड के प्रेसिडेन्ट डॉ. ए. के. अरूण ने ‘ऑटो इमुनिटी डिसऑर्डर बीमारीयों के प्रबंधन में योग एवं नेचुरौपैथी की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री गुरूराम राय विश्वविद्यालय के असिस्टन्ट प्रोफेसर डॉ. अनिल थापलीयां ने स्वस्थ जीवन के लिए योग का क्या महत्व है, इस बाबत मार्गदर्शन किया। मनोविशेषज्ञ डॉ. अरविन्द भदौरियां ने मनोस्वास्थ के परिप्रेक्ष्य में योग एवं नेचुरोपैथी की भूमिका पर चर्चा की। सम्मेलन के कुल तीन तकनीकी सत्र हुए, जिनकी अध्यक्षता डॉ. रामदर्शन फोगट, डॉ. महेशसिंह राजपूत, डॉ. तनुश्री ने की। इस सम्मेलन में 150 शोध विद्वानों ने सहभाग लिया तथा 45 शोध छात्रों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सम्मेलन का संचालन डॉ. नाझिया हुसेन ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुषमा मौर्य एवं डॉ. प्रगति भूतोडिया आदि ने विषेश रूप से उपस्थित रह कर सहयोग प्रदान किया।