बाबू शोभाचंद जम्मड़ भवन में
सरदारशहर, स्थानीय बाबू शोभाचंद जम्मड़ भवन में पंडित ब्रजमोहन लाटा स्मृति ग्रंथ लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में संस्कृत के अनेक विद्वानों ने शिरकत कर अपने विचार रखे। वर्तमान में भारतीय संस्कृति के संरक्षण हेतु जिन संस्कारों की आवश्यकता है उनकी पूर्ति केवल संस्कृत भाषा ही कर सकती है क्योंकि धर्म-कर्म और संस्कृति के संरक्षण के बिना मानव जाति का विकास कदापि संभव नहीं है। उक्त उद्गार रेवासा अग्रपीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज ने व्यक्त किए। कार्यक्रम में पंडित औंकारनाथ लाटा की पुण्य स्मृति में मनीषिमूर्धन्य पं. नटवरलाल जोशी को प्रथम संस्कृत संस्कृति संरक्षण सम्मान से नवाजा गया। शैक्षिक कर्म योगी पं. ब्रजमोहन लाटा की पुण्य स्मृति में प्रथम गुरु गौरव सम्मान प्रोफेसर योगेश्वर शर्मा को प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप श्रीफल अभिनंदन पत्र एवं सॉल ओढाकर अतिथियों द्वारा प्रदान किए गए। समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा ने लाटा परिवार द्वारा संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय सेवाओं का स्मरण किया। गांधी विद्या मंदिर के कुलाधिपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कनकमल दुगड़ ने भ्रातृद्वयके संस्कृत संबंधी विशिष्ट अवदान को रेखांकित किया। महाराजा संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य आनंद पुरोहित, धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भगवानसहाय, लोहिया महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष भवानीशंकर शर्मा, कल्याण उपाध्याय संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ किशनलाल उपाध्याय सहित अनेक विद्वानों के विद्वतापूर्ण उद्बोधन दिये। कार्यक्रम में न्यायिक सेवा के विभिन्न अधिकारियों का भी आगमन हुआ। कार्यक्रम में संस्कृत संस्कृति संरक्षण संगोष्ठी के साथ-साथ समागत विद्वजनों का माला, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह व शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में पुर्व जिला न्यायाधीश डॉ. श्यामसुंदर लाटा ने समस्त महानुभावों का आभार व्यक्त किया।