परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत परिवार नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाने में पुरूषों की भागीदारी बढऩी चाहिये इसी बात को ध्यान में रखने के लिए प्रत्येक माह के तीसरे बुधवार को पुरूष नसबंदी दिवस आयोजित किया जायेगा। स्वास्थ्य सचिव एवं मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नवीन जैन ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को नियत दिवस नसंबदी सेवा कार्य योजना के तहत प्रत्येक माह के तीसरे बुधवार को पुरूष नसबंदीवार आयोजित करने के निर्देश दिये हैं। सभी उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को जिले में उपलब्ध एनएसवी प्रशिक्षित सेवा प्रदाताओं की टीम की संख्या के अनुरूप कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये गये हैं। जिन जिलों में एनएसवी प्रशिक्षित सेवा प्रदाताओं की कमी है। उन्हें राज्य स्तर पर एनएसवी प्रशिक्षण के लिए नामांकन भेजने के लिए निर्देशित किया है। डिप्टी सीएमएचओं डॉ नरोत्तम जांगिड़ ने बताया कि इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा तीसरे बुधवार से कम से कम 10 दिन पहले तैयारी बैठक आयोजित कर प्रभावी रणनीति बनायी जायेगी। आमजन में पुरूषबंदीवार दिवस के प्रभावी प्रचार-प्रसार गतिविधियां भी आयोजित की जायेगी। उन्होंने इस कार्यक्रम में जिला स्तर, ब्लॉक स्तर,ए प्रत्येक चिकित्सा अधिकारी, एलएचवी, एएनएम ब्लॉक/पीएचसी आशा सुपरवाईजर एवं आशा सहयोगिनियों द्वारा एक टीम के रूप में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। जिले में 16 मई को आयोजित होने बुधवार को जिला बीडीके अस्पताल, सीएचसी बिसाऊ, खेतड़ी और चिड़ावा में शिविर आयोजित किये जायेंगे।
एनएसवी में है समझदारी डिप्टी सीएमएचओं डॉ नरोत्तम जांगिड़ ने बताया कि पुरुष नसबंदी करवाने पर क्षतिपूर्ति राशि स्वरुप 2000 रूपए सरकार की ओर से दिए जाते हैं जबकि महिला नसबंदी पर 1400 रूपए। एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) के रूप में नसबंदी की नयी पद्धति का प्रयोग शुरू होने के बाद परिवार कल्याण कार्यक्रम के परिदृश्य में बदलाव की जमीन तैयार होने लगी है। एनएसवी को आम जुबान में नसबंदी की बिना चीरा, बिना टांका पद्धति कहा जाता है। नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके आधे घंटे में घर जा सकते है और अपेक्षाकृत जल्दी अपने काम पर लौट सकते हैं।