जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने कहा कि राज्य का अधिकांश क्षेत्र प्रतिवर्ष अकाल की चपेट में ही रहता है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने इस विकट समस्या के स्थाई समाधान के लिये एक योजना बनाई और आज गांव-गांव में छोटे-छोटे तालाब नजर आने लगे हैं। इसके लिये उन्होंने इस समस्या को समझा और प्रभावी ठोस कदम उठाये। उन्होंने अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का आगाज किया, जिससे गांव का पानी गांव में ही संग्रहित करने के प्रयास किए गए, जिसका काफी हद तक फायदा भी मिला है।
श्री यादव गुरूवार को जिला परिषद् सभागार में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तृतीय फेज के संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस अभियान को जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाना होगा और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य यही है कि इस अभियान से लोगों को जोड़ा जाए। आज यह अभियान अपने तृतीय चरण की ओर अग्रसर है। 9 दिसमबर को प्रारम्भ हुए अभियान के तीसरे चरण के तहत जिले में 32 ग्राम पंचायतों के 70 गांवों में लगभग 1400 कार्य प्रस्तावित है। इनमें से 170 कार्य पूर्ण हो चुके है।
जिला कलेक्टर ने कहा कि जिन गांवों को इस अभियान के तहत चयनित किया गया है, वहां की शिक्षण संस्थानों सहित अन्य सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं एवं भामाशाहों से भी सहयोग लिया जाए। उन्होंने भामाशाहों, जनप्रतिनिधियों एवं आमजनता से अपील की है कि अभियान में कोई भी व्यक्ति एक रूपये से लेकर अपनी इच्छा शक्ति के अनुसार आर्थिक सहायता दे सकता है। अगर कोई व्यक्ति इस अभियान में संसाधन एवं शारीरिक श्रम के तौर पर अपना सहयोग देना चाहता है, तो वह भी आमंत्रित है।
जिला कलेक्टर ने कहा कि इस अभियान को ग्रामीण अपने स्वयं का अभियान समझे और अगर उन्हें किसी कार्य में कभी भी कोई भी काम खराब लगे तो, उसकी शिकायत तुरन्त संबंधित अधिकारी को करें। उन्होंने कहा कि यह जल संग्रहण का कार्य है, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीें की जाएंगी। हर कसौटी पर गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए।
इस दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेपी बुनकर, अति. मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिष्ठा पिलानियां, सांख्यिकी विभाग के सहा. निदेशक बाबूलाल रैगर, जेइएन अमित चौधरी सहित संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी एवं भामाशाह उपस्थित थे।