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लालचौक पर 303 वें दिन भी नहर की मुहिम को लेकर धरना जारी

चिड़ावा, चिड़ावा -सिंघाना सड़क मार्ग बस स्टैंड लालचौक पर नहर की मांग किसानों का धरना किसान सभा के बैनर तले किसान यादराम यादव व कौशल्या यादव सपत्नीक की अध्यक्षता में आज 303 वें दिन भी जारी रहा। नहर नहीं वरदान मान चुकी शेखावाटी की जनता हलख सूखता मानव जीवन बचाने में जुटे क्षेत्र के लोगों ने आन्दोलन का रास्ता चुना है। सत्तर सालों से नहर की मांग को 1994 आते आते समझौते में 1917 क्यूसेक पानी यमुना का देना तो तय किया जो आजतक हरियाणा सरकार ने नहीं छोड़ा इसमें राजस्थान व केंद्र सरकार भी लापरवाह रही जिसकी बदौलत हरियाणा ने उसपर अपना आजीवन अधिकार समझ लिया और शेखावाटी के कूंओं में पीने का व सींचाई का पानी भरपूर होने की वजह से समय निकलता रहा । लेकिन अब पानी समाप्त होने से पीने के भी लाले पड़ने से जरुरत पड़ी तो माफरदाने में पानी मिल गया “कोई धणी नहीं धोरी नहीं” मानते हुए हरियाणा में 30 सालों तक पानी सिंचाई के काम आता रहा वहां का उच्च नेतृत्व आज भी पानी देने में आना कानी कर रहा है और हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने तो अपने अजेण्डे में ही लेकर मुद्दा बनाया नहरी पानी को कि हमारी सरकार आई तो नहीं देंगे यमुना का पानी राजस्थान की शेखावाटी को।अब कांग्रेस हार गई है तो नहर का अवसर खुला है लेकिन नसीब में नहीं है नहर यहां झुंझुनूं के हिस्से का ही पानी है और यहां भी उपचुनाव होने जा रहा है झुंझुनूं में अब विधानसभा हैडक्वार्टर पर उसमें बीजेपी फिर से हारती नजर आती है तो झुंझुनूं की नहर खटाई में पड़ती नजर आती है। एक उद्योगपति राजेंद्र भाम्भू बीजेपी से उम्मीदवार हैं और जबरदस्त भीतरघात है जिसके कारण हार भी हो सकती है। लेकिन गाज नहर पर पड़ेगी,तो दूसरी तरफ कांग्रेस से अमित ओला हैं जिनकी तीन पीढियां राजनीति में हैं और जिले का नेतृत्व कर रहे हैं ।उनके परिवार की साख आजतक आसमान को छूती रही है तथा उसके दादा पद्मश्री शीशराम ओला राजस्थान व केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं कई बार तथा पांच बार सांसद बने रहे झुंझुनूं की ही नहीं वरन राजस्थान की राजनीति में उनका डंका बजता था। अपने समय में अखिल भारतवर्ष में अग्रिम श्रेणी के जाट किसान नेता थे। पूर्व प्रधान मंत्री देवगौड़ा के अनुसार उनकी मृत्यु पर देश के महान किसान नेता कहा जाना एक शानी की तरह है।और वे नहर की आवाज उठाते रहे तथा जिंदगीभर नहर के लिए लड़ते हुए मन की मन में चली गई । इस परिवार की भी साख दाव पर है और बीजेपी की भी दोनों ही तरफ से घुटने टिकाकर सीट जीतने की कोशिश जोरों पर है । जबकि किसानों ने कई बार कहा है कि नहर आंदोलन किसी भी पार्टी से समर्थित नहीं है गैर राजनीतिक धरना है आमजन का जीवन बचाने की मुहिम है हमें हार जीत से कोई लेना-देना नहीं है मगर बीजेपी को हार बर्दाश्त नहीं होगी अतः ये झुंझुनूं की नहर लगभग दो साल पिछे धकेल दी जाऐगी बीजेपी के गुस्से की भेंट चढेगी।लेकिन किसान को नहर चाहिए किसान वर्ग ने ठान लिया है कि जबतक नहर धरातल पर नहीं उतरेगी तब तक आन्दोलन जारी रहेगा। और चुनावों के बाद इसका रंग रुप उग्र होगा धरने पर आज नहर आंदोलन प्रवक्ता विजेन्द्र शास्त्री, उपसचिव ताराचंद तानाण, सतपाल चाहर, कपिल कुमार, जयसिंह हलवाई,नागरमल किढवाना, सुनिल कुमार,प्रभुराम सैनी,उपाध्यक्ष बजरंग लाल, सुनिल मेघवाल, प्रदीप कुमार, रामचन्द्र,केला देवी,कोमल, कौशल्या, सौरभ सैनी, करण कटारिया, सचिन बांझडौली, संजय चाहर, राजवीर, प्रदीप शेखावत, राजेश चाहर, सुभाष तानाण, कृष्णा शास्त्री,आदि उपस्थित रहे।

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