रतनगढ़, पिंंजरापोल गौशाला में हो रही भागवत कथा के दौरान शनिवार को कथावाचक गोपाल मिश्र ने श्री कृृष्ण रूक्मणी विवाह व उद्व चरित्र की कथा को विस्तार से बताया। श्री कृ़ष्ण रूक्मणी विवाह के अवसर पर धर्म श्रद्धालुओं ने भगवान पर पुष्प वर्षा कर मंगल गीत गाए। कथावाचक ने बताया कि रूकमणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी का अवतार थी। रूक्मणी ने मन ही मन श्री कृष्ण को वर चुना था जो उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। उन्होंने कहा कि जीवन का श्रेष्ठ मार्ग ही सत्संग है, सत्संग में आने से विचार, बुद्धि व आचरण बदल जाते हैं तथा व्यक्ति धीरे धीरे धर्ममय हो जाता है। उन्होंने श्री कृष्ण का महारास, कंस वध, उद्धव-गोपी संवाद, जरासंघ युद्ध, रूकमणी विवाह की कथा विस्तार से बताई। मुख्य यजमान भीष्मकुमार सांखोलिया ने व्यास पीठ की पूजा अर्चना की। इस मौके पर संत दयालगिरी महाराज, कालूराम धर्ड़, बनवारीलाल हरितवाल, परसराम सांखोलिया, शंकरलाल सेवदा, गोपाल महर्षि, वासुदेव सांगानेरिया, गोपाल प्रजापत, राजकुमार सांखोलिया, हरिप्रसाद सांखोलिया सहित अनेकों ने मिश्र का पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन बाबूलाल महर्षि ने किया।