इस्लामपुर के निकटवर्ती रेलवे स्टेशन रतन शहर के सामने वाली ढाणी मे कुंभाराम प्रोजेक्ट की पानी सप्लाई लाइन से पिछलें चार पांच रोज से हिमालय का हजारो लीटर मीठा पानी व्यर्थ बह रहा है। मरूप्रदेश के अन्दर पानी की कीमत घी से भी ज्यादा समझी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि घी यदि ढुल जाये तो कोई बात नही लेकिन पानी की एक बूद भी व्यर्थ नही जानी चाहिये। वही फिल्टर एवं मीठे पानी की बर्बादी हमारी व्यवस्थाओं और प्रबंधन पर सवालिया निशान लगाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यू तो लोगो को इसकी जानकारी नही है कि इसकी शिकायत कहा करनी है। किसी व्यक्ति से इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित किसी कर्मचारियो को सूचना की जाती है। तो वहा से भी सन्तोष जनक जबाब नही मिलता है। ये हाल तो तब का है जब इस योजना के अन्र्तगत पानी मिलने को कुछ दिन ही नही हुए है। जब लोग इसके लिए अभ्यस्त हो जायेगे तो कर्मचारी व जनता पानी के व्यर्थ बहने पर कितने संवेदनशील होगे। यह भी देखने वाली बात है।