सर्दियों में कैसे करे पशुओं की देखभाल
जानिए डॉ योगेश आर्य, नीम का थाना से
सीकर, सर्दियों का मौसम आने को हैं इसलिए पशुपालकों को कुछ बातें जान लेनी चाहिए जिनका ध्यान देकर ना केवल वो पशुओँ को स्वस्थ रख पाएंगे बल्कि उनसे अधिक उत्पादन भी प्राप्त कर पाएंगे| सर्दियों के मौसम में बाहरी वातावरण का तापक्रम कम होने पर पशुओँ की अधिक ऊर्जा का क्षय होता है, जिससे शरीर का तापक्रम बनाये रखने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है| सर्दियों में तापक्रम कम हो जाने पर पशुओं की ऊर्जा, प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है|
-पशुआवास प्रबंधन कैसे करें:-
सर्दियों में सबसे अहम हैं पशुओँ को शीत आघात से बचाना। पशुओ को सर्दी में ठंडी हवाओ से बचाने के लिए उन्हें टाट की बोरियां ओढ़ा दी जानी चाहिए| रात को जिस पक्के या कच्चे आवास में पशु को बांधा जाता हो उसमे सारी खिड़की और दरवाजे बंद कर, उन पर बोरी टाँग देवे, ताकि पशु शीत लहर की चपेट में न आ जाये| पशुओं का बिछावन गीला नहीं होना चाहिए और छोटे बछड़ो के लिए घास पौधों की पत्तिया इत्यादि बिछानी चाहिए|अधिक ठंड होने पर अलाव भी जलाया जा सकता है, परन्तु इसको पशुओ की पहुंच से दूर रखे| ऐसी व्यवस्था करे कि दिन में सूर्य की रौशनी आती रहे| गोबर एवं मूत्र की निकासी की अच्छी व्यवस्था करे| गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखे और प्रसव के बाद प्रजनिका और बछड़े को ढके स्थान पर अच्छी बिछावन पर बांधे| बछड़े की अच्छी वृद्धि के लिए “माइक्रोटोन लिक्विड” देना सही रहता हैं। पशुओं के सर्दी के कारण ठंड लगना, श्वसन रोग, निमोनिया इत्यादि रोग हो जाने पर तुरंत वेटरनरी डॉक्टर से उपचार करवाएं। पशुओं को “एन.पी.सी. फोर्ट” बोलस 2-2 दिए जाने से भी आराम मिलता हैं| सही आवास प्रबंधन करके पशुओं को शीत आघात से बचाया जा सकता है|
-पशुओं की आहार व्यवस्था कैसी हो:-
अच्छी गुणवत्ता का सूखा चारा जैसे बाजरा कड़बी, गेंहू की तुड़ी इत्यादि के साथ साथ उच्च पाचकता गुणांक वाला चारा पशुओ को दिया जा सकता है। पशुओ को दिए गए रेशेदार आहार, दूध में वसा प्रतिशत बढ़ाने के लिए सहायक होते हैं| पशुओं को हरा चारा भी दिया जाना चाहिए, इसके लिए फलीदार हरे चारे जैसे बरसीम, रिजका, जई और काऊपी इत्यादि को, सूखे भूसे के साथ मिलाकर खिलाया जा सकता है| पशु आहार में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन जैसे सोयाबीन के अलावा सरसो की खल, मूंगफली की खल अथवा बिनोला खल इत्यादि सम्पूरक मिलाया जाना महत्वपूर्ण हो जाता है | सर्दियों में दाना मिश्रण की अतिरिक्त मात्रा दी जानी चाहिए| दाना मिश्रण में मोटे तौर पर दानें(40{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56}), खल(32{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56}), चापड़(25{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56}), खनिज लवण(2{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56}) और नमक(1{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56}) सम्मिलित किया जाना चाहिए| अधिक दुग्ध उत्पादन हेतु भैंस को, प्रति 2 किलो दुग्ध पर 1 किलो सांद्र आहार अतिरिक्त दिया जाना चाहिए| सर्दियों में पशु आहार में गुड़ आवश्यक रूप से मिलाया जाना चाहिए| दाना मिश्रण जैसे गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार, बिनोला आदि को रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह ये दाना मिश्रण ताजा पानी में उबाले| अधिक दुग्ध उत्पादन वाले पशुओ को ये आहार दिन में तीन बार दिया जा सकता है| अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु पशुओ को साइलेज, बाईपास फेट, बाईपास प्रोटीन दिया जा सकता है| “एनेरबूस्ट पाउडर” भी काफी लाभ होता हैं।
सर्दियों में पशुओ की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो जाती है, अतः उच्च केलोरिक आहार विटामिन और खनिज लवण से फोर्टीफाइड होना चाहिए| सांद्र राशन में 2{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} खनिज तत्व और 1{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} नमक मिलाना चाहिए| इसके लिए “बायोबीऑन पाउडर” देना अच्छा रहता हैं। पशुआहार की मात्रा को धीरे धीरे ही बढ़ाया जाना चाहिए अन्यथा पशु का पाचन बिगड़ सकता है| अपच हो जाने पर “डाईजामेक्स फोर्ट” बोलस या पाउडर देवें। दस्त लगने पर “विनडायर बोलस” भी अच्छे परिणाम देते हैं। फंगस लगा चारा खाने से पशु का पाचन खराब होने से दस्त लग जाने पर “टॉक्सआउट पाउडर” देवें। पशुपालक ध्यान रखे कि रातभर कोहरे में रखा भीगा दाना मिश्रण अधिक ठंडा होता है, पशुआहार का तापमान अधिक कम होने पर पशुओं के बीमार हो जाने की सम्भावना बढ़ती है, अतः पशुआहार अधिक ठंडा नहीं होना चाहिए| पशुओ को अधिक दलहनी हरा चारा देने से आफरा भी आ सकता है| सर्दियों में भी पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करवाना चाहिए| काफी बार सर्दियों में पानी कम पीने से पशुओँ को कब्ज हो जाती हैं ऐसे में “इम्पेक्योर पाउडर” देवे।
-पशुपालको के लिए विशेष हिदायत :- सर्दियों का मौसम आते आते भैंस ताव/हीट में आने लगती हैं फिर भी कोई भैंस ताव में न आये तो “प्यूबरेड पाउडर” का प्रयोग करें। पशुओँ अगर गर्भधारण में कोई समस्या हो तो “गेस्टाप्रोजेन पाउडर” उपयुक्त रहेगा। थन/गादी की अच्छी वृद्धि के लिए “अडर-एच लिक्विड” प्रचलन में हैं। ब्याने के बाद दुग्ध उतारने में कोई दिक्कत हो तो “सिमलेज बोलस” दे सकते हैं। मुंहपका खुरपका रोग होने पर होने वाले घावों और मेगेट घाव हो जाने पर “न्यूक्लिओटोन पाउडर अच्छा असर दिखाता हैं और घाव जल्दी भरते हैं। हर तीन माह में पशुओँ का कृमिनाशन करवाये इसके लिए “मिनफ्लूक सस्पेंशन” अथवा “मिनफ्लूक डीएस” बोलस काम मे ले। गर्भवती पशुओँ के लिए “फेनमैक्स बोलस” उत्तम हैं। सर्दियों में पशुओँ के बीमार हो जाने पर लापरवाही नही बरते और वेटरनरी डॉक्टर से उपचार करवाएं।