पढाई बीच में छोड़ चुकी महिलाओं के लिए प्रोत्साहन बन रही महिला अधिकारिता विभाग की शिक्षा सेतु योजना,
मौलीसर बड़ा की सरोज ने ओपन बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा की उत्तीर्ण, बारहवीं परीक्षा की कर रहीं तैयारी
चूरू, व्यक्ति जीवन में बहुत सारे सपने देखता है और कई बार परिस्थितियां ऎसी बन जाती हैं कि अनेक सपने अधूरे रह जाते हैं। ऎसे में यदि कोई सहारा बनकर आए और उन अधूरे सपनों का पूरे करने के लिए प्रोत्साहित करें तो निस्संदेह खोए हुए सपने भी वापस मिल जाते हैं। महिला अधिकारिता विभाग की शिक्षा सेतु योजना भी पढाई-लिखाई छोड़ चुकी महिलाओं के लिए बड़ा प्रोत्साहन साबित हो रही है। योजना से लाभान्वित होने वाली महिलाओं में मौलीसर बड़ा की सरोज शर्मा भी एक मिसाल है, जिन्होंने 42 साल की उम्र में दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण की है और अब वे 12 वीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं।
सरोज बताती हैं कि उनका बचपन एक छोटे से गांव में व्यतीत हुआ, जिस कारण उन्हें शिक्षा का पर्याप्त लाभ नहीं मिल सका। वह आगे पढ़ना चाहती थीं, लेकिन सही मार्गदर्शन के अभाव में यह अवसर नहीं मिल पाया। ऎसे में उनके मन में हमेशा एक टीस रहती थी और जब पढ़ी-लिखी महिलाओं और स्कूल जाने वाली लड़कियों को देखतीं तो उन्हें लगता कि काश उन्होंने भी नियमित पढाई की होती। ऎसे में महिला अधिकारिता विभाग के अंतर्गत चल रहे इन्दिरा महिला शक्ति केन्द्र के परामर्शदाता एक दिन उनके गांव में विजिट के लिए आये। सरोज ने उनसे अपनी इच्छा जाहिर करते हुए जानकारी चाही तो परामर्शदाताओं ने उन्हें राज्य सरकार की शिक्षा सेतु योजना के बारे में जानकारी दी।
सरोज ने शिक्षा सेतु योजना में राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल से 10 वीं कक्षा के लिए आवेदन किया। पढाई से दूर हुए उन्हें 28 वर्ष हो चुके थे, जिसके कारण प्रारम्भ में काफी समस्या का सामना करना पड़ा, परन्तु इस योजना से उन्हें यह सहायता मिली कि उन्हें ओपन बोर्ड के अध्यापक ने उनकी पंसद के विषयों का चयन करवाया। मनपसंद शिक्षा हो तो कौन नहीं पढ़ना चाहता और राज्य सरकार ने ये स्वप्न भी पूरा किया तो सरोज ने अपने सफल प्रयासों से 10वीं कक्षा 58.40 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
सरोज बताती हैं कि अभी मैं 12वीं कक्षा में आवेदन करूंगी और अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होऊंगी। वे अपनी हमउम्र महिलाओं को सन्देश देती हैं कि उचित मार्गदर्शन और सहयोग मिल जाये तो हमारे जूनून को और अधिक ताकत मिल जाती है। राज्य सरकार की इस योजना का शिक्षा से वंचित और पढ़ने की चाह रखने वाली हर महिला को लाभ उठाना चाहिए। सरोज राजस्थान के जननायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य सरकार का बहुत आभार प्रकट करती हैं, जिनके कारण वह इतने वर्ष पढाई से दूर होने के बावजूद 42 वर्ष की आयु में भी 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण कर पाईं। महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक संजय महला बताते हैं कि इस सफलता से सरोज का उत्साह देखते ही बनता है। इस उत्साह से ग्रामीण अंचल तथा शिक्षा से वंचित अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी।