हाल ही में राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन राज्यों में सत्ता में वापसी की है इन राज्यों में सत्ता वापसी में सबसे बड़ी भूमिका राहुल गांधी के उस बयान ने निभाई जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार आते ही 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ किया जाएगा। कांग्रेस की सरकार बन चुकी है घोषणाएं हो चुकी है लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक किसानों का कर्जा माफ एक शगूफ़ा ही साबित हो रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसके लिए केंद्र को चिट्ठी लिख रहे हैं इससे पता चलता है कि कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट किसानों की कर्ज माफी के संबंध में विजन नहीं था। यह उन्होंने चुनाव में जीत के लिए शगूफ़ा छोड़ा था क्या वैसा ही कोई शगूफ़ा कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी छोड़ सकती है। यदि शेखावाटी क्षेत्र की बात करें तो झुंझुनू में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और प्रभारी मंत्री ने झुंझुनू के सैनी मंदिर में फीडबैक लिया वहीं चूरू में प्रदेश प्रभारी काजी निजामुद्दीन ने श्री राम मंदिर में कांग्रेसियों से फीडबैक लिया देखने को तो यह एक सामान्य सी बात है लेकिन इसमें गौर करने वाली बात यह है कि अब तक मंदिरो से दुरी रखने वाली कांग्रेस में यह परिवर्तन कहा से आया। झुंझुनू में जहां सैनी मंदिर को कांग्रेस की मीटिंग के लिए चुना गया वहीं चूरू में भी कांग्रेस की मीटिंग के लिए मंदिर को ही चुना गया ऐसी स्थिति में लगता है कि कांग्रेस के थिंक टैंको का मानना है कि जो मुस्लिम वोट है वह तो कांग्रेस से फिसल कर कही दूर जाने वाले नहीं है। इसके अलावा जो हिंदू वोट है उसको अपनी तरफ खींचने के प्रयास किए जा रहे हैं। झुंझुनू की राजनीति में लोकसभा चुनाव में सैनी वॉटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस स्थान पर सभा करके एक नए समीकरण बनाने का प्रयास किया गया है। किसानों की कर्ज माफी में अभी तक कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई है धीरे-धीरे अब लोगों को लगने लगा है कि यह कांग्रेस का एक छोड़ा गया शगुफा था जिस के झांसे में जनता आ गई। क्या लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस फिर से कोई ऐसा शगुफा छोड़ने का प्रयास करेगी यह देखने वाली बात है।