बाघोली, खेतड़ी उपखंड क्षेत्र के नौरंगपुरा के राजस्व गांव सुनारी में राजकीय प्रवेशिका माध्यमिक संस्कृत विद्यालय मजादा जोहड़ी के सामने दरवाजे पर शनिवार को शहीद गुरूदयाल सिंह की पुण्य तिथि मनाई गई। इससे पहले अतिथयों ,ग्रामीणों व परिजनो ने शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। समारोह की अध्यक्षता सरपंच ताराचन्द भावरिया ने की। विशिष्ठ अतिथि पूर्व सरपंच हनुमान जाखड़, एडवोकेट मन्नीराम जाखड़ नीमकाथाना, बंसतीलाल शर्मा, रणवीर , पंच मनोज कुमार बगडिय़ा आदि थे। मुख्य अतिथि प्रधान मनिषा गुर्जर ने कहा कि शहीद को देवताओं के बराबर मानना चाहिए। शहीद के नाम पर नारियल चढ़ाने से देवताओं के बराबर मनोकामनाए पूर्ण होती है बच्चो को भी स्कूल जाते समय शहीद की मूर्ति के सामने धोक लगाकर जाना चाहिए । पूर्व सरपंच ने कहा कि शहीद की कोई जाति -पाती नही होती है। नारा लगाते हुए कहा कि जब तक सूरज चाँद रहेगा तब तक शहीदों का नाम रहेगा। इस अवसर पर शहीद की वीरांगना कमलादेवी का अतिथियों ने शॉल ओढ़ाकर सममान किया। उल्लेखनीय है कि सुनारी के शहीद गुरूदयाल सिंह 13 अक्टूम्बर 1996 में जम्मू कशमीर में डयूटी के दौरान गाड़ी में कोयला लेकर वापस आते समय आंतकवादियों ने हमला कर दिया हमले में सीने में गोली लगने से ईलाज के दौरान शहीद हो गये थे। सुनारी गांव में अब तक तीन शहीद हो चुके है। शहीद का दर्जा भी 20 वर्ष बाद में पिछली साल में मिला था। अभी तक शहीद की मूर्ति भी नही लगाई गई है। पिछली साल स्कूल के दरवाजे पर ही पट्टिका पर नाम लिखा था। इस दौरान महेन्द्रसिंह लाबा हरिपुरा, सुबेदार शीशराम, मूलचन्द, राजेन्द्र, मुकेश बिजारिणयां, रोहिताश, रणवीर, जगमाल, मालाराम सहीत सैकड़ौ लोग मौजुद थे।
स्कूल के बच्चों को समारोह में नही भेजने पर स्वाटर बाटने आई दिक्कत ।
शहीद की पुण्य तिथि पर शनिवार को 25 गारीब बच्चों को सर्दी मौसम के लिए स्वेटर वितरण करनी थी । लेकिन विद्यालय के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक श्रीचन्द ने चुनावों में आचार सहीता लगने से शहीद के कार्यक्रम में बच्चों को नही भेजा । समारोह में आये ग्रामीण व अतिथियों ने आग्रह भी किया कि यह शहीद का कार्यक्रम है राजनेताओं का कार्यक्रम नही है। कार्यक्रम भी स्कूल के बाहर है लेकिन गुरूजी ने किसी की भी नही सुनी। शहीद के परिजनों ने स्कूल के बच्चों को बिना सम्मान के ही स्वेटर देनी पड़ी।