सूरजगढ़ तहसीलदार बंशीधर योगी को प्रधानमंत्री, श्रम मंत्री व राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम सौपा ज्ञापन
सूरजगढ़, आज बृहस्पतिवार को आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वावधान में श्रमिक कानूनों में किये गये बदलाव के विरोध में मनजीत सिंह तंवर के नेतृत्व में सूरजगढ़ तहसीलदार बंशीधर योगी को प्रधानमंत्री, श्रम मंत्री व राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर श्रमिक, गरीब मजदूरों के लिए बनाये गये श्रम कानूनों को यथावत रखने की मांग उठाई है। देश के प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में आत्मनिर्भर रहने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा श्रमिक गरीब मजदूरों के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है और मजदूरों का शोषण करने के लिए श्रमिक विरोधी कानून बनाये जा रहे हैं। देश के निर्माण में कामगारों, श्रमिक, मजदूरों और किसानों का सबसे ज्यादा योगदान होता है। आज आपदा के समय लॉक डाउन के दौरान देश के गरीब मजदूरों के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव और अत्याचार हो रहा है। गरीब मजदूरों पर हो रहे जुल्म और अत्याचार को तुरंत प्रभाव से रोका जाना चाहिये और बीच रास्तों में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया जाना चाहिये। आदर्श समाज समिति इंडिया के संरक्षक मनजीत सिंह तंवर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर जंग लड़ रहा है। दूसरी ओर सरकार मजदूरों का शोषण करने के लिए श्रमिक विरोधी कानून बना रही है। लॉक डाउन में कामगार मजदूरों के खिलाफ इस तरह की साजिश रचना न्यायोचित नहीं है। संकट की घड़ी में मजदूरों के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है। देश में अचानक लॉक डाउन घोषित करने से कामगार, गरीब मजदूर भयंकर मुसीबत में फंस गये हैं। लॉक डाउन में श्रमिकों के साथ भेदभाव और अत्याचार किया जा रहा है। अमीरों को बसों द्वारा घर भिजवाया जा रहा है जबकि गरीब मजदूरों को पैदल भी सड़क पर नहीं चलने दिया जा रहा है। सरकार की बेरुखी की वजह से प्रवासी मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हो रहे हैं। रास्ते में भूख प्यास और तरह-तरह की यातनाएं सह रहे हैं। घर पहुंचने के प्रयास में बहुत से गरीब मजदूरों की मौत हो गई है। सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों द्वारा राह चलते श्रमिकों को समय पर खाना नहीं दिया जाता तो ना जाने कितने लोगों की मौत भूख से हो चुकी होती हालांकि अब भी बहुत से लोगों की भूख से मौत हो चुकी है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि लॉक डाउन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा हर रोज नये नियम और आदेश बदलकर गरीब मजदूरों पर अत्याचार किया जा रहा है। मई का महीना मजदूरों का महीना कहलाता है। मई मजदूरों के अधिकारों की गवाही देने वाला महीना होता है। लेकिन इसी महीने में मजदूरों पर सबसे ज्यादा ज़ुल्म व अत्याचार हो रहे हैं और लॉक डाउन के मद्देनजर कई राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानून में तब्दीलियां शुरू कर मजदूरों के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गोवा सहित कई राज्यों में श्रमिकों के कानून को निष्प्रभावी किया जा रहा है और कामगारों श्रमिकों के काम की अवधि 8 घंटे से 12 घंटे बढ़ाई जा रही है, जो बिल्कुल गलत है।मानवाधिकारों के खिलाफ है। मजदूरों के अधिकारों पर कुठाराघात है। यूपी सरकार ने श्रमिकों के तकरीबन कानूनों को समाप्त कर मजदूरों के शोषण की राह साफ कर दी है। देश के निर्माण में और देश को चलाने में मजदूरों का सबसे बड़ा हाथ होता है। मजदूरों के शोषण को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है।कोरोना के खिलाफ लड़ाई मानवाधिकारों को रौंदने का बहाना नहीं हो सकता है। अर्थव्यवस्था सुधारने के नाम पर गरीब मजदूरों का शोषण नहीं किया जा सकता है। देश की अर्थव्यवस्था काफी समय से जटिल परिस्थितियों से गुजर रही है। अब कोरोना का बहाना बनाकर मजदूरों का शोषण करके देश की अर्थव्यवस्था को गति देने की बात करना बेतुका तर्क है। अर्थव्यवस्था में गति और वृद्धि का दारोमदार क्या सिर्फ मजदूरों पर ही है? सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। आज जरूरत इस बात की है कि विपदा का सामना करने के लिए साझा सक्रियता दिखाई जाये और गरीब मजदूरों का शोषण करने की बजाय उनके हितों की रक्षा की जाये, उनकी हौसला अफजाई की जाये। लॉक डाउन में गरीब मजदूर मुसीबत में फंसे हुए हैं, उनके खिलाफ दमनकारी नीति बनाने की बजाय उनकी हर संभव सहायता की जानी चाहिये। राज्य सरकारों द्वारा बनाये गये श्रमिक विरोधी कानूनों को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिये। मजदूर देश के निर्माता हैं। इनके हितों की रक्षा की जानी चाहिये। सामाजिक कार्यकर्ता पवन मेघवाल और वैध जयप्रकाश स्वामी ने कहा कि लॉक डाउन में फंसे करोड़ों श्रमिकों की मदद करने की बजाय उनके खिलाफ कानून बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार का ये फैसला मजदूरों के खिलाफ एक अमानवीय अपराध है, जो दमनकारी है। देश के विभिन्न राज्यों में रह रहे प्रवासी मजदूरों व कामगारों को आश्वासन के बाद पूरा पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है। ऐसे में लाचार श्रम कानूनों को ओर सख्त करने की जरूरत थी। सरकार ने इसके विपरीत श्रम अधिनियमों में बदलाव कर गरीब मजदूरों को शोषण और गुलामी की तरफ धकेलने का काम किया है। आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा श्रम कानूनों में किये गये अलोकतांत्रिक व अमानवीय बदलावों को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की मांग पुरजोर से उठाई गई है। संकट की घड़ी में श्रमिक, कामगार, गरीब मजदूरों पर हो रहे जुल्म और अत्याचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। ज्ञापन देने वालों में वैद्य जय प्रकाश स्वामी, विनोद काजला, पवन कुमार मेघवाल, विक्की मारवाल, संदीप रायला, रवि कुमार, धर्मपाल गांधी, मनजीत सिंह तंवर, किशोर साईंपंवार, राय सिंह शेखावत, प्रताप सिंह, होशियार सिंह, महेंद्र सिंह आदि का सहयोग रहा।