सिंघाना के घरड़ाना खुर्द की बेटी आशा झाझडिया ने पिछले साल 22 मई 2017 को पहले ही प्रयास में माउंट एवरेस्ट को फतेह कर प्रदेश के साथ-साथ देश का नाम रोशन किया था। आशा ने अपने खुद के खर्चे पर यह मुकाम हासिल किया था। फतेह के बाद आशा बुलंद हौसले के साथ जब अपने सिंघाना स्थित घर पहुंची तो बधाई देने वालों का तांता लग गया लेकिन सरकार की तरफ से आशा को ना तो केन्द्र सरकार और ना ही राज्य सरकार की तरफ से कोई सहायता नही मिली ऐसे में मायुस आशा ने नाम के अनुरूप आशा नही छोड़ी और अपनी मुहिम को चालु रखा। जिस एडवेंचर एजेंसी के माध्यम से आशा ने एवरेस्ट फतेह की थी उसी एजेंसी ने आशा की काबलियत को देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकारी आदिवासी वेलफेयर एज्युकेशन सोसाईटी द्वारा 11वां व 12वीं क्लाश के बच्चों को लेह से होते हुए लद्दाख के स्टोक कांगरी पहाड़ी इलाके में भेजा गया था। एजेंसी ने आशा की योग्यता को देखते हुए बतौर प्रशिक्षक/मैडिकल ऑफिसर टीम का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया है। इस ट्रेनिंग के लिए आशा ने सभी बच्चों को पहाडिय़ों पर चढऩे के गुर सिखाए तथा एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान आने वाली कठिनाईयों के बारे में बताया। आशा को 19 साल का मैडिकल लाईन का तजुर्बा भी है। आशा का कहना है कि वह देश व तिरंगे की शान के लिए हमेशा तत्पर रहेगी।