अनेक गांवों के ग्रामीण दे रहे हैं धरना
रतनगढ़ (सुभाष प्रजापत) रतनगढ़ से लोसल वाया सालासर सड़क मार्ग पीपीपी मोड पर बन रहे स्टेट हाईवे के सफर को आसान बनाने के लिए कार्यकारी एजेंसी की कई खामियां सामने आई है। बिना किसी नोटिस के जहां दर्जनों किसानों के खेतों की भूमि को अधिग्रहण कर लिया, वहीं मिट्टी का भी अवैध खनन किया जा रहा है। इसके अलावा सैकड़ों पेड़ों पर भी जेसीबी चली है और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस और अभी तक ध्यान नहीं दिया है, जिसके चलते सांगासर से शुरू हुआ किसानों का आक्रोश भींचरी व लूंछ तक पहुंच गया है। इस सड़क के निर्माण के लिए तीन गांवों के 67 किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। किसानों के आक्रोश को देखते हुए 31 जुलाई से सड़क निर्माण का कार्य बंद पड़ा है। गांव भींचरी में तो हालात इतने दयनीय है कि इस सड़क के निर्माण से गांव के 12 लोगों के आसियानें व दुकानें ही टूट जाएगी। इसके अलावा गांव की एक हौज सहित तीन पेयजल स्त्रोत भी इस सड़क निर्माण का शिकार होंगे। पीपल गट्टों को तोड़ा जाएगा तथा धर्मशाला, दो श्मशान भूमि की चार दीवारी, नंदी की समाधी व मंदिर की दीवार भी सड़क निर्माण की भेंट चढ़ेगी। ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा अभी तक मुआवजे की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है और यदि मिलता भी है, तो सरकारी दर पर, जो मकान के निर्माण में ऊंट के मूंह में जीरा वाली कहावत को चरितार्थ करेगा। ऐसे में ऐसा विकास किस काम का, जो दूसरों के आसियानों को उजाड़कर करवाया जा रहा है। गांव सांगासर में बाजार दर से मुआवजा दिलवाने की मांग को लेकर 23 जुलाई से धरना चल रहा है, वहीं गांव भींचरी में 30 जुलाई से तथा गांव लूंछ में दो अगस्त से धरना शुरू हुआ है। धरना स्थल पर सुबह नौ बजे ही लोग एकत्रित हो जाते हैं, हालांकि दोपहर में लोगों की संख्या में कमी आती है, लेकिन शाम होते-होते फिर चौपाल लग जाती है और देर रात नौ बजे तक धरना यथावत चलता है।