सीकर, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय उजीन सिंह का नाडा बेरी के विद्यार्थियों को रविवार को सीकर जिले में स्थित देवगढ़ किले पर ट्रैकिंग कर पहुंचे, उसके बाद वहां पर श्रमदान कर प्लास्टिक और बोतलें चुनने का कार्य किया। प्रधानाध्यापक राज कमल जाखड़ ने बताया कि विद्यालय में विद्यार्थियों के सीखने के लिए भ्रमण विधि अध्यन की सबसे प्रभावी विधि है। उन्होंने बताया कि विद्यार्थी को इतिहास के प्रति जोड़ने के लिए ऐतिहासिक इमारतें, किलों , धरोहरों का भ्रमण आवश्यक है । कहावत भी है कि एक देखना सो सुनने से बेहतर है। इसी की अवधारणा के तहत पर्यावरण अध्ययन की नीरसता को दूर करने के लिए पर्यटन विधि बहुत कारगर विधि है। इस विधि से विद्यार्थी प्रत्यक्ष रूप से ज्ञानार्जन करते हैं ।कक्षा में छात्र केवल पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करते हैं और यथार्थता से परे रहता है। भूगोल विषय का अध्ययन मस्तिष्क की अपेक्षा पैरों से अधिक सीखा जा सकता है ।इसी को ध्यान में रखते हुए यह विद्यालय नवाचार प्रतिवर्ष करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इसी पर बल दिया गया है। कार्यक्रम प्रभारी कल्पना ने बताया कि राजा देवी सिंह द्वारा बनाया हुआ देवगढ़ किला सरकारी उदासीनता के चलते आज खंडार में तब्दील हो रहा है और वहां पर झाड़ियां और प्लास्टिक में अपना डेरा डाल रखा है। विद्यालय के विद्यार्थियों ने करीब 3 घंटे श्रमदान कर देवगढ़ परिसर को प्लास्टिक और बोतलों से मुक्त करने का कार्य किया। विद्यार्थियों ने बहुत ही रोमांच के साथ ट्रैकिंग कर किले तक पहुंचे। इस अवसर पर प्रभु सिंह राठौड़ ने विद्यार्थियों को ऐतिहासिक इमारत में किले का महत्व और विशेष रूप से देवगढ़ के किले की ऐतिहासिकता पर विस्तार से बताया।