फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकम को निशान की स्थापना के साथ ही कस्बे में श्याम निशान महोत्सव की शुरूआत हो गई है। मिनी खाटुधाम के नाम से प्रसिद्ध सूरजगढ़ कस्बे में खाटुधाम निशान पदयात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है। प्राचीन मंदिर के भगत हजारीलाल ने बताया गुरूवार को निशान की स्थापना के साथ ही फाल्गुन मास की पंचमी तक सुबह शाम निशान की महाआरती की जाएगी। फाल्गुन मास की छठ को निशान की पुजा अर्चना व आरती के बाद लाखों श्रद्धालुओं के साथ निशान पदयात्रा शुरू होती है चार दिन के धार्मिक सफर के बाद भक्तगण नवमी को निशान लेकर खाटु नगरी पहुंचते है जहां पर तीन दिन तक निशान की पुजा अर्चना व भजनों के कार्यक्रम आयोजित होगें। वहीं सूरजगढ़ के प्राचीन मंदिर से भक्त मनोहर लाल के सानिध्य में फाल्गुन मास की सप्तमी को श्रद्धालुओं के साथ निशान रवाना होगा जो दसमी को खाटुधाम पहुंचने के बाद बारस को खाटु मंदिर के शिखरबंद पर सबसे पहले सूरजगढ़ का निशान चढ़ता है, उसके बाद देशभर के कोने कोने से पहुंचने वाले श्रद्धालु अपने निशान चढ़ाते है। निशान चढ़ाने के बाद सूरजगढ़ निशान के साथ जाने वाले भगतगण वापसी में भी पैदल सूरजगढ़ पहुंचते है।
सूरजगढ़ निशान का प्राचीन महत्व – सूरजगढ़ निशान के सबसे पहले खाटु मंदिर शिखरबंद पर चढ़ाए जाने के पीछे एक अमर गाथा जुड़ी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज से 96 वर्ष ई. स. पूर्व 1920 विक्रम सम्वत 1975 फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को खाटु धाम में विभिन्न स्थानों से आए श्याम भक्तों में शिखर बंद पर सबसे पहले निशान चढ़ाने को लेकर होड़ मच गई। यद्यपि सूरजगढ़ निशान प्राचीन समय से चढ़ता आ रहा था। सर्व सम्मति से निर्णय हुआ जो भक्त बिना चाबी के मोरछड़ी से ताले को खोल देगा वही सबसे पहले निशान चढ़ायेगा। देश के कोने कोने से आए भक्तों ने प्रयास किया लेकिन सबके प्रयास विफल हो गए अंत में भक्त शिरोमणी श्री गोवर्धन दास जी महाराज के आदेश से शिष्य मंगलाराम अहीर ने ज्योंहि ताले को मोरपंखी से छुआ झट से ताला खुल गया । उस चमत्कार को देखकर सभी भक्त, भक्त शिरोमणी गोवर्धन दास के चरणों में गिर गए तब से लेकर आज तक सबसे पहले खाटु मंदिर के शिखर बंद पर सूरजगढ़ का निशान चढ़ता है।
पदयात्रा में जाते है लाखों श्रद्धालु – सूरजगढ़ से छठ व सप्तमी को जाने वाली निशान पदयात्रा में आस-पास के क्षेत्र सहित दूर दराज के भक्तगण शामिल होते है, जिनकी संख्या लाखों में पहुंच जाती है। जब मंदिर से निशान उठते है तो पुरा कस्बा बाबा के जयकारों के साथ श्याममय हो जाता है। भक्तगण नाचते गाते बाबा की धुन में चलते जाते है। सूरजगढ़ से चलने के बाद हर गांव शहर में सूरजगढ़ निशान का भव्य स्वागत किया जाता है। निशान के साथ जाने वाले श्याम भक्त श्रद्धालुओं को मारपंखी से आशिर्वाद देते है। पदयात्रा के दौरान महिला, पुरूष, बच्चे, बुढे व जवान सभी श्याम रंग में रंग जाते है। पदयात्रा में भक्तों के लिए जगह जगह भंडारे की व्यवस्था की जाती है वहीं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा कैंप लगाए जाते है।