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पूर्व विधायक अशोक को किया भाजपा से निलंबित तो आर एल पी से निष्कासित प्रत्याशी मूंड ने आरोप को किया सिरे से खारिज

सरदारशहर, [जगदीश लाटा] आगामी 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लड़ रहे या ग़लत प्रचार कर रहे अथवा पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी क्रम में आज बुधवार को भाजपा ने पूर्व विधायक अशोक पींचा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया। पार्टी की ओर से नगरपरिषद के नेता प्रतिपक्ष राकेश टाक और पूर्व पालिकाध्यक्ष सुषमा पींचा को भी भाजपा से निलंबित कर दिया गया। भाजपा की ओर से इनके विरुद्ध पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करने , पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगाये गये है।

उधर, गत गुरुवार को निष्कासित आर एल पी के उम्मीदवार लालचंद मूंड ने पार्टी द्वारा उन पर नामांकन वापस लेने के पीछे धनबल के दबाव में आने के लगाए आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने व्हाट्सएप चैट में बताया कि आरोप लगाना सरल है उसे साबित करना पड़ता है। मूंड ने कहा कि धनबल के प्रभाव में आने का प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं और जनता की सहमति से ही पर्चा वापस उठाया है। मूंड ने इस पत्रकार से व्हाट्सएप चैट में स्वीकार किया कि कोम के दबाव में और सहमति के कारण उन्हें नामांकन वापस लेना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि लालचंद ने रालोपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था और कार्यकर्ता प्रचार में भी जुट गए थे । बाद में नगरपरिषद के सभापति राजकरण चौधरी के द्वारा 6 नवंबर को कांग्रेस विद्रोही उम्मीदवार के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी का पर्चा भरा गया। तत्पश्चात गत गुरुवार को मूंड ने यह कहकर अपना नामांकन वापस ले लिया कि जाट कोम, जनता और कार्यकर्ताओं की सहमति के बाद पर्चा वापस उठाया गया है।
पार्टी ने मूंड को, उन पर धनबल के दबाव में आने का आरोप लगाते हुए प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था।

जैसा कि जगदीश लाटा पत्रकार को लोगों ने बताया

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