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प्रथम स्वास्थ्य मंत्री स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर की जयंती मनाई

चिड़ावा, राजीव गाँधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश सचिव विजय मील के नेतृत्व में किसान कार्यालय चिड़ावा में देश की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री, प्रख्यात गाँधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर की जयंती मनाई। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने राजकुमारी अमृत कौर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- राजकुमारी अमृत कौर को स्वतंत्र भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल में देश की प्रथम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने का मौका मिला। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार 1957 तक संभाला। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना राजकुमारी अमृत कौर के द्वारा ही की गई थी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाली महान स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर ने महात्मा गाँधी के साथ मिलकर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रथम स्वास्थ्य मंत्री रहने के साथ ही राजकुमारी अमृत कौर संविधान सभा की सदस्य, प्रथम लोकसभा की सदस्य और 1957 से 1964 तक राज्यसभा की सदस्य रही। अपने राजनीतिक कैरियर के दौरान राजकुमारी अमृत कौर ने कई बड़े पदों को सुशोभित किया, स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां उल्लेखनीय रहीं‌। 1950 में उन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन का अध्यक्ष बनाया गया‌। यह सम्मान हासिल करने वाली वह पहली महिला थी। राजकुमारी अमृत कौर ने महिलाओं और हरिजनों के उद्धार के लिए भी कई कल्याणकारी कार्य किये। वह बाल विवाह और पर्दा प्रथा के सख्त ख़िलाफ़ थीं और इन्हें लड़कियों की शिक्षा में बड़ी बाधा मानती थीं। उनका कहना था कि शिक्षा को नि:शुल्क और अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। राजकुमारी अमृत कौर ने महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखकर ही 1927 में ‘अखिल भारतीय महिला सम्मेलन’ की स्थापना की।

वह 1930 में इसकी सचिव और 1933 में अध्यक्ष बनीं। उन्होंने ‘ऑल इंडिया वूमेन्स एजुकेशन फंड एसोसिएशन’ के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया और नई दिल्ली के ‘लेडी इर्विन कॉलेज’ की कार्यकारी समिति की सदस्य रहीं। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘शिक्षा सलाहकार बोर्ड’ का सदस्य भी बनाया, जिससे उन्होंने ‘भारत छोडो आंदोलन’ के दौरान इस्तीफा दे दिया था। उन्हें 1945 में लंदन और 1946 में पेरिस के यूनेस्को सम्मेलन में भारतीय सदस्य के रूप में भेजा गया था। वह ‘अखिल भारतीय बुनकर संघ’ के न्यासी बोर्ड की सदस्य भी रहीं। राजकुमारी अमृत कौर ने आजीवन अविवाहित रहकर देश की आजादी और राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2 अक्टूबर 1964 को राजकुमारी अमृत कौर का निधन हो गया। अपनी सोच और संकल्प से उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में जो बुनियाद रखी, उन्हीं पर आज़ाद भारत के सपनों की ताबीर हुई थी। ऐसी महान विभूति को हम नमन करते हैं। इस मौके पर चिड़ावा पंचायत समिति सदस्य ख्यालीराम सैनी, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश सचिव विजय मील, आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, युवा विकास मंच पिलानी विधानसभा अध्यक्ष सुरेश कुमावत, सुबे सिंह यादव, कुलदीप यादव, कर्ण सिंह आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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