फूलों से नहीं कहेंगे कुछ भी चमन के लिए,
बंदूकों से नहीं कहेंगे कुछ भी अमन के लिए,
लेकिन आप लोगों से इतना जरूर कहेंगे कि
दो- चार पल ही सही पर वक्त निकालिए अपने वतन के लिए..
झुन्झुनूं, देश में बढ़ रही नफरत व हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संगठन आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा ऑनलाइन कांफ्रेंस के जरिये देशवासियों को शांति का संदेश दिया जायेगा। आदर्श समाज समिति इंडिया प्रयागराज जनपद की अध्यक्ष श्रीमती रेनू मिश्रा दीपशिखा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष साहित्यकार मुजाहिद चौधरी एडवोकेट और आदर्श समाज समिति इंडिया दिल्ली इकाई की विशिष्ट सदस्य शिक्षाविद् व साहित्यकार चंद्रमणि के प्रस्ताव पर समिति ने देश में बढ़ती हिंसा और नफरत को रोकने के लिए 19 जून रविवार को सुबह 10 बजे कांफ्रेंस के जरिए देश में अमन चैन स्थापित करने के वास्ते शांति का संदेश प्रसारित करने का निर्णय लिया है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि देश में शांति और भाईचारा स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समिति द्वारा रविवार को ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जायेगा। जिसका शीर्षक होगा, “वतन के नाम अमन का पैगाम”। देश के विभिन्न प्रांतों से कवि, बुद्धिजीवी, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता ऑनलाइन कार्यक्रम में भाग लेकर देशवासियों को शांति का संदेश देते हुए देश में एकता और भाईचारा स्थापित करने की मुहिम शुरू करेंगे। राष्ट्रीय एकता के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द होना बहुत जरूरी है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सांप्रदायिकता एवं जातिवाद के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए किसी भी धर्म या जाति के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर भी अंकुश लगाने की आवश्यकता है। ऐसा कोई भी गैर राजनैतिक अथवा राजनैतिक संगठन जो किसी धर्म के आधार पर संगठित हो और जिस पर यह संदेह हो कि उसकी गतिविधियाँ देश के धार्मिक सौहार्द एवं धर्म निरपेक्षता के लिए चुनौतियाँ खड़ी कर सकती हैं, ऐसे संगठन चाहे किसी भी धर्म से संबंधित हो, उन सभी ऐसे संगठनों पर कम से कम दस वर्षों के लिए कठोर प्रतिबंध लगा देना चाहिए तथा इनके कार्यालयों, प्रशिक्षणाालयों एवं प्रतिष्ठानों को सील कर देना चाहिए। देश को सबल बनाने के लिए साम्प्रदायिक सद्भाव और सौहार्द बनाए रखने की जरूरत है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि प्रेम से प्रेम और घृणा से घृणा उत्पन्न होती है। हमारा पथ प्रेम और अहिंसा का होना चाहिए। घृणा एवं हिंसा सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है। जाति व धर्म के नाम पर देश के शांत व सौहार्दपूर्ण वातावरण को दूषित करने वालों को यह समझना होगा कि हमारा देश भारत संविधान से चलता है।
“चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी,
यहीं इल्जाम लग रहा है हम पर बेवफाई का…
चमन को रौंद डाला जिन्होंने अपने पैरों से,
वही दावा कर रहे हैं इस चमन की रहनुमाई का।”