कमलेश कुमार तेतरवाल अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी झुंझुनू
झुंझुनू,[कमलेश तेतरवाल] दुनिया में कोरोना ने अपने कहर से पूरी तबाही मचा रखी है तथा भारत में भी इसने अपने पांव पसार लिए हैं। सरकार ने इक्कीस दिन के लिए संपूर्ण देश मे लॉक डाउन की घोषणा कर दी है। सभी दुकान, होटल, रेस्टोरेंट ढाबे, कार्यालय बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में इंसान एक दूसरे की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। गरीबों, मजदूरों के लिए भोजन, दवा आदि की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इस बीच कुछ जोक्स भी सुनने को मिल रहे हैं कि इन दिनों पशु पक्षियों के लिए बहुत अच्छे दिन आए हुए हैं। न तो वाहनों, रेल गाड़ियों व हवाई जहाजों का शोर है न धुंआ हैं, जिससे सभी पशु पक्षी बड़े आराम से बिना किसी बाधा के विचरण कर रहे हैं। पर क्या यह हकीकत है? नहीं। हम सब मनुष्यों के लिए तो बहुत प्रयास कर रहे हैं कि सभी को भोजन,पानी, दवा मिले, कोई भूखा नहीं सोए लेकिन हम यह भूल गए हैं कि लाखों जीव- जंतु, पशु -पक्षी मनुष्य की दैनिक गतिविधियों पर ही निर्भर हैं। प्रकृति ने मनुष्य, पशु पक्षियों व अन्य जीव-जंतुओं को एक दूसरे पर निर्भर बनाया है तथा इस लॉक डाउन से वह खाद्य निर्भरता की श्रंखला टूट सी गयी है। जो पशु पक्षी होटलों, रेस्टोरेंट्स, सब्जी मंडियों में बचे हुए व फेंके हुए खाना, फलों, सब्जीयों से अपना पेट भरते थे वे अब भी अपने उन स्थानों पर रोज जाते हैं तथा भूखे, निराश वापस लौट आते हैं। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि हम मनुष्यों के साथ-साथ इन बेसहारा पशु पक्षियों पर भी रहम करें तथा यथासंभव जहां कहीं भी ऐसे बेसहारा प्राणी हमें दिखाई दें उनके चारे व दाने पानी की भी व्यवस्था करें क्योंकि प्रकृति में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है तथा इस वैश्विक महामारी के संकट के समय यदि पशु पक्षियों की इन प्रजातियों पर कोई संकट आया तो मानव जाति के लिए यह भी एक संकट का संकेत होगा। प्रकृति के सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्यों का यह दायित्व बनता है कि हम पृथ्वी पर प्रत्येक जीव जंतु की रक्षा करें तथा इसी भावना से हमारे आस पड़ोस में जो भी पशु पक्षी जीव जंतु भूखे प्यासे दिखाई दे उनके लिए भोजन पानी की व्यवस्था करें। इस संकट के समय प्रत्येक प्राणी को मदद की आवश्यकता है। मदद करें, यही हमारा धर्म है। हमारा धेय्य वाक्य होना चाहिये “सभी प्राणियों का कल्याण हो”।