बजट-2024/25 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद ने केन्द्र और राज्य की सरकार को कृषि, शिक्षा व आधी अधूरी योजनाओं पर घेरा
दिल्ली/चूरू, लोकसभा के बजट सत्र के दौरान हो रही चर्चा में भाग लेते हुए चूरू सांसद राहुल कस्वां ने किसान-किसानी और जवानों के मुद्दों पर केन्द्र व राज्य की सरकार पर कड़े प्रहार किए। लोकसभा में बोलते हुए सांसद कस्वां ने कहा कि बजट को देखकर साफ प्रतीत हो रहा है कि यह कुर्सी बचाओ बजट है। बजट में जो हमारे साथ हैं हम उनके साथ है का ही ध्यान रखा गया है, बाकि न तो किसान की बात है न जवान की, न दलित की बात है न मजदूर की; विकसित भारत के जो सपने दिखाए उसका कोई जिक्र नहीं।
कस्वां ने कहा कि जीडीपी की ग्रोथ रेट 2023-24 में 8 प्रतिशत के आस पास रही, जिसके बारे में सभी नेन बात की। मैं किसान और किसानी की बात करूंगा क्योंकि मुझे उन लोगों का साथ और आशीर्वाद मिला है और एक बार नहीं सात बार ये साथ मिला है। हिन्दुस्तान जैसे कृषि प्रधान देश में जीडीपी की ग्रोथ रेट की 8%प्रतिशत की बात करते हो लेकिन कृषि की ग्रोथ रेट मात्र 1.4 प्रतिशत रही, जो किसान व किसानी की हालात को दिखाता है। राजस्थान को स्पेशल बजट प्रावधान की बहुत बड़ी जरूरत थी। कुछ ऐसे प्रौजेक्ट हैं जिन पर राजस्थान की नजरें थीं, जिनके बारे में आम आदमी सोचता था और आस लगाये था कि बजट में हमें भी कुछ मिलेगा लेकिन राजस्थान का नाम तक नहीं लिया गया इस बजट में।
आप ही की सरकार और आप ही के मुख्यमंत्री भजनलाल ने जिन्होंने चुनावों के अंदर हर गांव गली में जाकर इन प्रोजेक्ट का ढ़िंढो़रा पीटा। ईआरसीपी जिसमें प्रदेश के 16 जिलों को पेयजल और सिंचाई का पानी मिलना है। इस तरह यमुना लिंक प्रौजेक्ट जो शेखावाटी क्षेत्र की सबसे बडी आस थी। चूरू झन्झुूनू की एक लाख हैक्टेयर में सिंचाई का पानी व सीकर के लिए पीने के पानी का प्रावधान इस प्रौजेक्ट में था। भागीरथी जैसी परिभाषाएं दी गई लेकिन बजट में चर्चा तक नहीं हुई इन प्रौजेक्ट की। इसके लिए न राज्य के बजट में कुछ मिला और न केन्द्र के बजट में।
किसान और किसानी की बातें होती हैं, लेकिन सिंचाई के लिए पिछले 10 साल में कोई बडा प्रौजेक्ट आया ही नहीं। किसान की आय दुगुनी करने की बातें हुई हैं लेकिन एक भी प्रौजेक्ट उतरी भारत में किसानों और किसानी के लिए नहीं आया। बारिश का अतिरिक्त पानी जो व्यर्थ जाता है उसको संग्रहित कर सिंचाई के लिए काम में लेने के लिए यमुना लिंक प्रौजेक्ट डिजायन किया गया। 2018 में 22 हजार करोड़ के इस प्रौजेक्ट की डीपीआर बनी, जिससे यह प्रौजेक्ट पूरा होता तो किसानी को बहुत लाभ मिलता। यह प्रौजेक्ट बदलते हुए भारत की सबसे बड़ी तस्वीर बन सकता है। हम बरसाती पानी को संग्रहित कर रबी सीजन में गैप फंडिग कर सकते हैं, लेकिन यह प्रौजेक्ट 2018 से लंबित पड़ा है।
कस्वां ने कहा कि जितना बड़ा है मेरा लोकसभा क्षेत्र चूरू है उतना ही बड़ा पूरा हरियाणा है। हरित क्रांति के माध्यम से पंजाब व हरियाणा ने जो मजबूती देश को प्रदान की है। एक नई हरित क्रांति की जरूरत है जहां पर हम तिलहन व दाल के लिए आयात पर निर्भर हैं, यदि यह सिंचाई प्रौजेक्ट हमें मिल जाता तो चूरू लोकसभा क्षेत्र और शेखावाटी पूरे देश का पेट भरने की क्षमता रखता है। फसल बीमा योजना पर बोलते हुए सांसद ने कहा कि खरीफ-21, खरीफ-23 तक का बीमा क्लेम किसानों को नहीं मिल पाया है। यएक सीजन का क्लेम मिलने में एक साल से ऊपर बीत जाता है फिर भी किसान को हक नहीं मिल पाता। किसान किसके पास जाए ? आए दिन किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। चूरू जिले मे रिलायंस बीमा कम्पनी आए दिन बेबुनियाद आपत्ति लगाकर किसानों का हक मार रही है।
सांसद ने कहा कि किसान आपसे कुछ नहीं मांग रहा, वो सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मांग रहा है। किसान और किसानी बुरे हाल में हैं लेकिन किसानों को कुछ नहीं दिया जा रहा, जबकि लाखों करोड़ों बाटें जा रहे हैं। किसान मजबूत होगा तो रोजगार भी पैदा करेगा।
मिलेट्स की बात सरकार करती है लेकिन एमएसपी पर बाजरा खरीद राजस्थान में नहीं हो रही। ग्वार हमारे क्षेत्र में भरपूर मात्रा में होता है लेकिन इसको एमएसपी के दायरे में लाया जाना चाहिए।
तिलहन व दालों की बात करें तो 1.4 लाख करोड़ रू. का 160 लाख टन खाद्य तेल हमने पिछले साल आयात किया है। पाम ऑयल पर आयात ड्यूटी शून्य कर दी गई, जिसका असर हुआ कि राजस्थान के शेखावाटी सहित नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ जहां सरसों की बड़ी मात्रा में पैदावार होती है वहां किसान को फसल भाव नहीं मिल रहा।
प्राकृतिक खेती, जीरो बजट खेती, ऑर्गेनिक खेती की बातें की जाती हैं लेकिन कौन इन उत्पादों को सही दाम पर क्रय करेगा, इसका कोई मैकेनिज्म नहीं है।
कस्वां ने आगे कहा कि हर योजना में बजट को घटा दिया है या यथावत/अछूता पड़ा है। योजनाएं लॉन्च कर देते हैं लेकिन योजनाओं की कोई हैंड हॉल्डिंग नहीं है। चूरू भास्कर में छपी न्यूज का हवाला देते हुए उन्होेंने कहा कि चूरू जिले में 16 हजार बच्चों ने स्कुल को ड्रॉप आउट कर दिया क्योंकि सरकारी स्कुलों में 1700 से ऊपर कमरों की जरूरत है लेकिन इस पर ठोस कार्य नहीं हो पा रहा। पीएम श्री व पीएम स्टार जैसी योजनाओं के बजट में कटौती कर दी। पीएम स्टार योजना जिसमें कमरे निर्माण का प्रावधान है लेकिन बजट मात्र 1200 करोड़ ही है। अत: योजनाओं में एड ऑन करना जरूरी है, ताकि गांवों तक शिक्षा और विकास पहुंचे। राहुल कस्वां ने सांसद निधि को 5 करोड़ से बढ़ाकर सालाना 10 करोड़ करने के लिए सदन में मांग रखी।