अशोक गहलोत ने फिर दिखाई जादूगिरी, सब खुश विपक्ष नाखुश
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बजट प्रतिक्रिया में दी गई मिशाल की लोग सोशल मीडिया पर उड़ा रहे है धज्जियां
झुंझुनू, कल प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने बजट पेश किया वह अभूतपूर्व कहा जा सकता है। कारण जब बजट पेश किया जा रहा था तो लोगों में कोई विशेष उत्सुकता बजट को लेकर नहीं थी लेकिन जैसे-जैसे शाम होती गई वैसे ही जगह जगह पर जश्न का माहौल देखने को मिला। इसका सबसे बड़ा कारण 2004 के बाद राजकीय सेवा में आए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की जो बात बजट में कही गई वह अशोक गहलोत का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। क्योंकि बजट के अंदर जो घोषणाएं हुई उनमें से कुछ अप्रत्याशित थी जिसकी अपेक्षा ने तो विपक्ष को थी और ना ही बजट विशेषज्ञों को। लेकिन विपक्ष को तो अपनी भूमिका निभानी ही है लिहाजा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने जो बजट की प्रतिक्रिया को लेकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि उन्होंने जो बजट को लेकर मिसाल पेश की है उसे किसी भी तरीके से उचित नहीं ठहराया जा सकता। सतीश पूनिया इस वायरल वीडियो में बोल रहे हैं कि लीपापोती वाला बजट है ऐसा लग रहा है कि किसी काली दुल्हन को ब्यूटी पार्लर में ले जाकर अच्छी तरीके से श्रृंगार करके उसको पेश कर दिया गया हो। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के इस बयान की सोशल मीडिया पर लोग जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। इनमें जो उन्होंने एक काली दुल्हन का उदाहरण दिया है उसको किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि रंग से काली दुल्हन भी किसी की बेटी और बहन होती है और किसी की होने वाली पत्नी भी। बजट से इस मिसाल को जोड़ना लोगों के गले नहीं उतर रहा है क्योंकि रूप रंग से किसी के बाह्य स्वरूप की व्याख्या तो की जा सकती है लेकिन उसके सुंदर मन की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन प्रदेश भर में कल जो बजट पेश होने के बाद में जगह-जगह जश्न का माहौल देखा गया। शायद ही राजस्थान के इतिहास में पहले ऐसा हुआ हो कि किसी मुख्यमंत्री ने बजट पेश किया हो उसके बाद जश्न मनाया गया हो और इसका सबसे बड़ा कारण कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देना है। इसके अलावा भी मुख्यमंत्री ने जनता को देने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इसमें कुछ योजनाएं तो ऐसी है जो सीधे गरीब तबके को लाभ देने वाली हैं और शायद यही अशोक गहलोत की विशेषता है कि जब जब वह सत्ता में आए हैं तो हमेशा उन्होंने गरीब तबके का ख्याल रखा है क्योंकि वह किसी और बड़े राजनीतिक परिवेश से उठकर नहीं आए हैं। आम लोगों से उठ कर आए हैं इसलिए उनकी पीड़ा को बखूबी से समझते हैं। 2010 में अशोक गहलोत ने एक बयान दिया था कि जो सरकारी कर्मचारी 5:00 बजने का इंतजार करते हैं मेरा बस चले तो मैं इनको कंपलसरी रिटायरमेंट दे दूं। वहीं दूसरी तरफ पुरानी पेंशन योजना लागू करके इन्हीं कर्मचारियों को लाभान्वित करने के पीछे उनका तर्क है कि जिस कर्मचारी ने अपना संपूर्ण जीवन राजकीय सेवा के लिए समर्पित किया है उसके वृद्धावस्था में जीवन व्यतीत करने की व्यवस्था भी सुनिश्चित सरकार को करनी चाहिए। इन्ही दो अलग-अलग स्थितियों में अशोक गहलोत जनता और कर्मचारियों दोनों के हितों को लेकर समान रूप से चिंतित दिखाई पड़ते हैं। बजट की परिणिति कैसी होगी वह अलग बात है लेकिन वर्तमान में देखा जाए तो बजट को लेकर सभी खुश दिखाई पड़ते हैं छोड़कर विपक्ष को। भाजपा नेताओं में अब अटल बिहारी वाजपेई जैसी वह बात कहां जब उन्होंने संसद में विपक्षी पार्टी की नेता इंदिरा गांधी को भी दुर्गा कह दिया था। ऐसे संस्कार और विचार भाजपा की मूल विचारधारा से जुड़े हुए लोगों में ही आ सकते हैं। लेकिन जब से भाजपा केंद्र में सत्तासीन हुई है अन्य राज्यों में इसका विस्तार हो रहा है वैसे वैसे भाजपा में भी हवा हवाई नेताओं की भरमार होती जा रही है।