Video News – अब तो आदत सी हो गई है प्रभारी सचिव महोदय झुंझुनू वालो को
खिंचाई से आगे धरातल पर बदले हालत तो माने झुंझुनू वाले
झुंझुनू, झुंझुनू जिला शिक्षा में भी अग्रणी है लिहाजा किसी भी मामले को लेकर प्रतिक्रिया भी यहाँ के लोगो की कुछ अलग हटकर और एडवांस ही देखने को मिलती है। झुंझुनू जिले के प्रभारी सचिव डॉक्टर समित शर्मा जिले के दौरे पर आए और आज उन्होंने झुंझुनू जिला मुख्यालय पर जिला स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक भी की और फॉलो अप भी लिया। वही आपको बता दें कि इससे एक माह पूर्व जब झुंझुनू जिले के प्रभारी सचिव दौरे पर आए थे तो उन्होंने झुंझुनू बीड़ीके अस्पताल के साथ अन्य स्थानों का सघन निरीक्षण भी किया और इसके बाद जिला स्तरीय बैठक में जमकर अधिकारियों को लताड़ भी लगाई थी। इसके बाद से झुंझुनू जिले के लोगों में इस बात को लेकर सराहना तो देखी गई कि किसी अधिकारी ने अफसर शाही को सिस्टम का ही हिस्सा होने का एहसास करवाया है लेकिन इसके साथ ही लोगों की प्रतिक्रिया यह भी निकलकर आई कि वास्तव में धरातल पर कोई बात बने तब हम प्रभारी सचिव को माने। दरअसल आपको बता दें कि झुंझुनू जिले के कई मामले ऐसे हैं जिन्हें झुंझुनू की जनता लम्बे समय से देखते आ रही है। इन दिनों झुंझुनू जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों में चल रही नौटंकी जनता के लिए मनोरंजन का साधन बनती प्रतीत हो रही है। अब लोग अधिकारियों की आपसी कलह और भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरें भी चटखारे के साथ पढ़ने लगे हैं, यानि गंभीर विषय को हलके में लेकर अपने मन को हलका बनाने का प्रयास करते है क्योकि अब लोगो को इन हालातो में बदलाव होने की संभावना भी क्षीण दिखाई देने लगी है।
वहीं झुंझुनू जिले की जनता एडवांस है तो लिहाजा यहां पर टिकने वाले अधिकारी भी अपने आप ही कम समय में ही एडवांस हो जाते हैं। जिसके चलते अपने उच्च अधिकारियों के आदेशों की कैसे लीपा पोती करनी है वह इस कला में भी निपुण हो चुके हैं। इसलिए झुंझुनू की जनता का मानना है की बात खिचाई और फटकार से आगे जाकर एक्शन में तब्दील हो तब कुछ बात बने। वरना एक महीने बाद होने वाली मीटिंगों में जिला स्तर की अधिकारी रटा रटाया जवाब ही देंगे कि सर लिस्ट तैयार हो रही हैं। फला फला तर्क देंगे की सर एक महीने में लिस्ट इसलिए तैयार नहीं हो पाई और तीन-चार घंटे की मीटिंग में प्रभारी सचिव के सामने अपना बचाव कर निकल जाएंगे। झुंझुनू शहर में अवैध निर्माण और स्वीकृति के विपरीत निर्माण कार्य की तरफ प्रशासन पूर्ण रूप से धृतराष्ट्र बन बैठा है। इसकी लापरवाही का ताजा उदाहरण हम आपके सामने पेश करते हैं कि धनखड़ हॉस्पिटल में अभी जो किडनी कांड हुआ था इसमें नगर परिषद की टीम जब जांच के लिए पहुंची तो सामने आया कि अस्पताल के पास फायर की एनओसी भी नहीं है और ना ही कोई सुरक्षा उपकरण इनके पास है। इतने लंबे समय से जिला मुख्यालय पर अस्पताल संचालित हो रहा है और इस लापरवाही के लिए संबंधित अधिकारियों पर कोई एक्शन हो तब तो कुछ बात समझ में आती है नहीं तो फिर झुंझुनू की जनता को भी अब आदत सी हो गई है। सिस्टम के समानांतर बने हुए एक सिस्टम में अपने आप को एडजस्टमेंट करने की। वही झुंझुनू जिले के कुछ अधिकारियों की कार्यशैली पर भी लंबे समय से सवाल उठाते रहे हैं लेकिन उनके ऊपर भी अभी तक कोई एक्शन देखने को नहीं मिला यह 4 जून तक की मजबूरी है या उसके बाद तक की मजबूरी यह भी देखने वाली बात है।