राजस्थान में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारों के बावजूद आज भी बेटा और बेटी का फर्क मिट नहीं पाया
बोये जाते हैं बेटे
पर उग जाती हैं बेटियाँ,
खाद पानी बेटों को
पर लहराती हैं बेटियां,
स्कूल जाते हैं बेटे
पर पढ़ जाती हैं बेटियां,
मेहनत करते हैं बेटे
पर अव्वल आती हैं बेटियां,
रुलाते हैं जब खूब बेटे
तब हंसाती हैं बेटियां,
नाम करें न करें बेटे
पर नाम कमाती हैं बेटियां,
जब दर्द देते बेटे
तब मरहम लगाती बेटियां,
छोड़ जाते हैं जब बेटे
तो काम आती हैं बेटियां,
चूरू, [सुभाष प्रजापत ] राजस्थान में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारों के बावजूद आज भी बेटा और बेटी का फर्क मिट नहीं पाया है. राजस्थान समेत देशभर में जहां बेटियों को आगे बढ़ाने के लिये तमाम तरह के प्रयास हो रहे हैं, वहीं कुछ लोग बेटियों के जन्म से खुश नहीं है। इसकी बानगी हाल ही में राजस्थान के चूरू जिले में देखने को मिली। यहां एक बुजुर्ग व्यक्ति ने महज इसलिये अपनी जान दे दी क्योंकि उनके घर में लगातार दूसरी बार पोती (लड़की) ने जन्म लिया था। हादसे के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है। परिजनों ने इस मामले में पुलिस कार्रवाई से इनकार कर दिया है। जानकारी के अनुसार पूरा मामला जिले के घणाउं गांव से जुड़ा हुआ है। घणाउं निवासी 50 वर्षीय रामकुमार बाजीगर ने मंगलवार को खेत पर जाकर आत्महत्या कर ली। रामकुमार के बेटे रणवीर ने बताया कि उसके भाई मुकेश की शादी वर्ष 2019 में हुई थी. शादी के बाद उनके पहली लड़की हुई थी. इससे उसके पिता नाराज रहने लगे। मुकेश की पत्नी जब दूसरी बार र्भवती हुई उन्होंने पोते की आस पाल रखी थी। मंगलवार सुबह करीब पांच बजे डिलीवरी हुई लेकिन दूसरी बार भी लड़की पैदा हुई। यह बात रामकुमार को इतनी नागवार गुजरी कि उसने पोती के जन्म के ढाई घंटे बाद पहले तो गुस्से में आकर शराब पी। बाद में खेत में जाकर कीटनाशक खा लिया। इसकी सूचना मिलने पर परिजन रामकुमार को तत्काल जिला अस्पताल में लेकर पहुंचे। वहां उसने इमरजेंसी वार्ड में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इसकी सूचना पर अस्पताल चौकी पुलिस वहां पहुंची और मृतक के परिजनों से मामले की जानकारी ली। परिजनों ने पुलिस कार्रवाई से इनकार दिया। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में लड़कियों के प्रति अभी भी कई लोग दोहरे मापदंड अपनाते हैं। कई बार लड़की होने से उसे फेंक दिया जाता है या फिर मार दिया जाता है। राजस्थान के विभिन्न इलाकों से ये खबर आये दिन सामने आती रहती हैं। चूरू जिले में पिछले दिनों ही एक नवजात लड़की को बारिश के दौरान कांटों में फेंक दिया गया था। लेकिन मासूम के रोने की आवाज सुनकर ग्रामीणों ने उसे बचा लिया था। बाद में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बहुत छोटा सा सफ़र होता है बेटी के साथ,
बहुत कम वक्त के लिये वह होती हमारे पास
असीम दुलार पाने की हकदार है बेटी,
समझो ईश्वर का आशीर्वाद है बेटी