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Video News – दुर्दशा : शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी जिला झुंझुनू के एक स्कूल की बदहाल तस्वीर

रिकॉर्ड में 32 बच्चों का नामांकन, मौके पर एक भी उपस्थित नहीं

महीनों से नहीं लगी झाड़ू, रसोईघर का जंग लगा ताला खोलने में मास्टरजी हुए नाकामयाब

झुंझुनू, उदयपुरवाटी [कैलाश बबेरवाल ] उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र के एक सरकारी विद्यालय की बदहाली की ऐसी तस्वीर आज हम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं जिसके लिए आपको विश्वास करना भी मुश्किल हो जाएगा कि 2022 में राजस्थान के शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी जिले झुंझुनू के किसी सरकारी विद्यालय की ऐसी दुर्दशा हो सकती है। हम बात कर रहे हैं उदयपुरवाटी क्षेत्र के ग्राम पंचायत मंडावरा के राजस्व गांव हालेड़ा में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की जब यहां पर हमारी टीम पहुंची तो विद्यालय में एक भी बच्चा दिखाई नहीं दिया। इसकी जानकारी जब उपस्थित शिक्षक से ली गई तो उनका कहना था कि विद्यालय में 32 बच्चों का नामांकन रिकॉर्ड में है लेकिन मौके पर एक ही बच्चा उपस्थित नहीं होने के बारे में जब शिक्षक के बारे में पूछा गया तो काफी देर बाद बगले झांकने के बाद उनका कहना था कि आज बच्चे नहीं आए। वहीं अन्य शिक्षकों के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके अलावा एक प्रधानाध्यापक भी यहां पर है वह भी आज नहीं आए। वही प्रतिदिन कितने बच्चे स्कूल में आते हैं इसके ऊपर उनका जवाब था कि दो चार बच्चे ही रोज आते हैं। वही स्कूल के अंदर स्थित कार्यालय को खोला गया तो उसकी दुर्दशा को देखकर लगा कि सालों से इसकी सुध नहीं ली गई है स्कूल में लगाने को झाड़ू तक नहीं थी। वही मौके पर उपस्थित शिक्षक रसोई घर का ताला तक नहीं खोल पाए। जंग लगा वह ताला देखकर लगता था कि वर्षों से नहीं खुला है या फिर अध्यापकजी को चाबी का ही पता नहीं है। वही जिस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्र के इस विद्यालय की स्थिति थी उसे देखकर लगता था कि शायद ही यहां पर कोई बालक पढ़ने के लिए आता होगा और अध्यापक जी भी शायद कभी कभार ही यहां पर आते होंगे। कहने का मतलब है कि महीनों के लाखों रुपए खर्च करके सरकारी विद्यालय को संचालित करने के लिए जो स्टाफ और व्यवस्था यहां पर की गई हैं वह भी विद्यालय के कमरों में जमी धूल की तरह धूल में ही चली जाती हैं। जिस स्कूल में बच्चे नहीं आते वहां पर पोषाहार पकाया जाता है या नहीं यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है क्योंकि विद्यालय में उपस्थित शिक्षक रसोई घर का ताला तक खोलने में सफल नहीं हुए। वही सवाल खड़ा होता है कि शिक्षा विभाग के ऊपर का जो प्रशासनिक तंत्र है वह भी क्या कभी कार्यालय से बाहर निकल कर निरीक्षण के लिए आते हैं या नहीं। यदि आते हैं तो इस दिन संभव है कि इस विद्यालय को कृत्रिम रूप से संचालित दिखाई देने के लिए सारी व्यवस्थाएं पूर्व ही सुनिश्चित की जाती होंगी रिपोर्ट जाती होगी ऑल इज वेल और मास्टर जी महीने के दिन आखरी दिन अपनी तनख्वाह लेकर हो जाते होंगे संतुष्ट। और अब आपके मस्तिष्क में इस खबर को देखकर जो जो सवाल उमड़ रहे आप खुद ही उनका जबाब खोजते रहे। तब तक अगली खबर तक के लिए नमस्कार।

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