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वैश्विक परिदृश्य में भारतीय देशी गायों का महत्व-स्वास्थ्य वर्धक A2 दूध

       डॉ जोरावर सिंह ज्याणी

भारतीय संस्कृति में गाय को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसे कामधेनु भी कहा गया है। इसका दूध बच्चों के लिए न केवल पौष्टिक माना गया है अपितु इसे बुद्धि के विकास में कारगर भी पाया गया है। सभी पशुओं में गाय के दूध को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। भारत में देशी नस्ल की गाय पालने की परंपरा रही है तथा इसका दूध स्वास्थ्य हेतु बेहतर पाया गया है। देशी गायों के दूध में पाया जाने वाला एक विशेष प्रोटीन हृदय की बीमारी एवं मधुमेह से लड़ने में कारगर पाया गया है तथा यह प्रोटीन बच्चों के मानसिक विकास में भी सहायक होता है। शायद इसलिए ही गाय के दूध की तुलना माँ के दूध से की गई है । भारतीय गायों की एक ऐसी विशेषता है जो दुनिया की अन्य गौ-प्रजातियों में नहीं होती। भारतीय नस्ल की गायों का दूध अत्यंत गुणकारी हैं। साधारणतया दूध में 85 प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व अर्थात लैक्टोज़, प्रोटीन, खनिज व वसा जैसे तत्त्व होते हैं। दूध, प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन तथा विटामिन बी2-युक्त होता है। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन जैसे कई अन्य खनिज पदार्थ पाए जाते हैं | गाय के ताज़े दूध में कई एंजाइम तथा कुछ जीवित कायिक कोशिकाएं भी होती हैं। गाय के दूध में पाए गए प्रोटीन में लगभग एक तिहाई ‘बीटा केसीन’ नामक प्रोटीन होता है। विभिन्न प्रकार की गायों में आनुवंशिकता (जैनेटिक कोड के आधार पर केसीन प्रोटीन अलग-अलग प्रकार का हो सकता है यह दूध की संगठनात्मक रचना को प्रभावित करता है जिससे इसमें गुणात्मक परिवर्तन होते हैं। दूध की गुणवत्ता के आधार पर ही उपभोक्ता इसे स्वीकार या अस्वीकार करते हैं। विदेशी गोवंश की अधिकांश गायों के दूध में ‘बीटा केसीन ए-1’ नामक प्रोटीन पाया गया है। जब इस दूध को पीते हैं तो इसमें शरीर के पाचक रस मिल जाते हैं तथा पाचन क्रिया में इस दूध के ए-1 बीटा केसीन नामक प्रोटीन की 67वीं कड़ी टूट कर अलग हो जाती है और ‘हिस्टिडीन’ के कारण ‘बी.सी.एम-7’ (बीटा कैसो-मोर्फिन-7) का निर्माण होता है। सात अमीनो-अम्ल वाला यह प्रोटीन ही विभिन्न रोगों हेतु उत्तरदायी माना गया है। यह शरीर के सुरक्षा तंत्र को नष्ट करके अनेक असाध्य रोगों का कारण बनता है।

बीटा केसीन ए-1 तथा ए-2 में अन्तर
लगभग 12 प्रकार के बीटा केसीन ज्ञात हुए हैं जिनमें ए-1 तथा ए-2 बीटा केसीन प्रमुख हैं। ए-2 की एमिनो एसिड़ श्रृंखला (कड़ी) में 67 वें स्थान पर ‘प्रोलीन’ होता है। जबकि ए-1 बीटा केसीन में ‘प्रोलीन’ के स्थान पर ‘हिस्टिडीन’ नामक अमीनो-अम्ल होता है। ए-1 बीटा केसीन में यह कड़ी कमजोर होती है जो पाचन क्रिया के दौरान टूट जाती है और ‘बीटा कैसोमोर्फिन-7’ का निर्माण होता है।

देशी गायों में मिलता है ए-2 बीटा केसीन
रिसर्च में पाया है कि देशी गाय से मिलने वाले दूध में ए-2 बीटा केसीन नाम का प्रोटीन होता है। यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है जबकि संकर व अन्य विदेशी गायों के दूध में ए-1 बीटा केसीन पाया जाता है।
ए-2 दूध से लाभ
यह प्रोटीन केवल देशी गायों के दूध में ही पाया जाता है। ए-2 बीटा केसीन नामक प्रोटीन न केवल शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है बल्कि दिल की बीमारी के खतरे को भी कम करता है। ए-2 बीटा केसीन कैंसर रोग के खतरे को कम करता है। यह पाचन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक है।

न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक केथ वुडफोर्ड ने अपनी किताब ‘डेविल इन द मिल्क’ में लिखा है कि भारत की देशी नस्ल की गायों में ए-2 बीटा केसीन प्रोटीन होता है, जो मनुष्य के शरीर हेतु निरोगी एवं लाभदायक होता है। वहीं विदेशी नस्ल की गायों में ए-1 बीटा कैसिन पाया जाता है, जिसमें विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है।
कई ऐसे शोध हुए हैं जिनमें विदेशी गायों में मौजूद ए-1 प्रोटीन से मानव शरीर में डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों के होने सम्बन्धी तथ्य सामने आए हैं। देशी गायों का दूध बच्चों के मानसिक विकास में काफी सहायक है। बच्चों को यह दूध आसानी से पच जाता है। हमारे देश में पाई जाने वाली विदेशी और संकर गाय दूध की उत्पादकता तो बढ़ाती हैं लेकिन अच्छी गुणवत्ता केवल देशी गायों के दूध में ही होती है।
करनाल स्थित आनुवंशिकी ब्यूरो के द्वारा किए गए शोध के अनुसार भारत की 98 प्रतिशत नस्लें ए-2 प्रकार के दुग्ध-प्रोटीन वाली होती हैं। इनके दुग्ध-प्रोटीन की अमीनो एसिड़ श्रृंखला में ‘प्रोलीन’ अम्ल 67वें स्थान पर होता है और यह अपने साथ की 66 वीं कड़ी के साथ मजबूती से जुड़ा रहता है तथा यह पाचन के समय टूटती नहीं है। 66वीं कड़ी में अमीनो एसिड ‘आइसोल्यूसीन’ होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि भारत की 2 प्रतिशत नस्लों में ए-1 नामक एलील विदेशी गोवंश के साथ हुए ‘म्यूटेशन के कारण’ ही आया होगा। आनुवंशिकी ब्यूरो (एन.बी.ए.जी.आर,करनाल) द्वारा भारत की 25 नस्लों की गायों के 900 सैंम्पल लिए गए थे। जिनमें से 97-98 प्रतिशत ए-2 ए-2 पाए गए तथा एक भी ए-1 ए-1 नहीं निकला। कुछ सैंम्पल ए-1 ए-2 थे जिसका कारण विदेशी गोवंश से सम्पर्क होना बताया गया। भैंसों की शतप्रतिशत नस्लें केवल ए-2 बीटा केसीनयुक्त दूध ही उत्पादित करती हैं|आजकल बहुत-से उपभोक्ता जागरूक हो रहे हैं कि बाल्यावस्था मे बच्चों को केवल ए-2 दूध ही देना चाहिये
विश्व बाज़ार में न्यूज़ीलेंड, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान और अमेरिका मे प्रमाणित ए-2 दूध के दाम साधारण ए-1 दूध के दाम से कही अधिक हैं| ए-2 प्रोटीनयुक्त दूध देने वाली सर्वाधिक गाय भारतवर्ष में पाई जाती हैं|यदि हमारी देशी गोपालन की नीतियों को समाज और शासन का प्रोत्साहन मिलता है तो सम्पूर्ण विश्व के लिए ए-2 दूध आधारित बालाहार का निर्यात भारत से किया जा सकेगा|यह एक बडे आर्थिक महत्व का विषय है| आज देशी गाय को देश के आर्थिक और सामाजिक स्वास्थ्य में वृद्धि करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जाने लगा है|इससे न केवल देशी गायों के पालन-पोषण को बढ़ावा मिलेगा अपितु भविष्य में चयनित प्रजनन द्वारा इनकी उत्पादकता में भी आशातीत वृद्धि हो सकेगी ।

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