Breaking Liveझुंझुनूताजा खबरपरेशानीराजनीति

झुंझुनू में विधायक डॉ राजकुमार शर्मा के कोटे से पत्रकारों के लिए बनाए कमरे पर एसडीएम ने जमाया कब्जा

झुंझुनू जिला मुख्यालय के पत्रकारों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

झुंझुनू जिला मुख्यालय के पत्रकारों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

नहीं हुई सुनवाई तो बबाई दौरे पर आ रहे मुख्यमंत्री को करवाएंगे अवगत

गर्मी के मौसम में पत्रकारों का भी चढ़ा पारा

झुंझुनू,, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग झुंझुनू के परिसर में बनाए गए नए भवन के निर्माण के दौरान नवलगढ़ विधायक एवं वर्तमान में मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉक्टर राजकुमार शर्मा द्वारा पत्रकारों के लिए अपने कोटे से कमरे का निर्माण करवाया गया था जिस पर वर्षों से उपखंड अधिकारी कार्यालय ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। कई बार सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू तथा झुंझुनू जिला कलेक्टर को इसके लिए अवगत करवाया जा चुका है लेकिन उपखंड अधिकारी की हठधर्मिता के चलते अभी तक कमरा खाली नहीं हुआ है। जिसके चलते नए भवन में शिफ्ट हुए पीआरओ ऑफिस में पत्रकारों को अपने कामकाज करने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में नवागंतुक जिला कलेक्टर डॉ खुशाल यादव को भी पत्रकारों ने सूचना केंद्र के सभागार में हुई बैठक में इसके बारे में अवगत करवाया था जिस पर जिला कलेक्टर ने शीघ्र ही समाधान करने का आश्वासन दिया था। लेकिन इसके बावजूद उपखंड अधिकारी द्वारा कमरा खाली नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते गर्मी के मौसम में आज पत्रकारों का पारा भी ऊपर चढ़ गया और उन्होंने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी इस मांग से अवगत करवाया। वही पत्रकारों ने इस अवसर पर जिला कलेक्टर को कहा कि शीघ्र ही समस्या का समाधान नहीं किया गया तो बाबई के दौरे पर आ रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समस्या से अवगत करवाया जाएगा और समस्या का समाधान नहीं होने पर जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना प्रदर्शन और आवश्यकता हुई तो आमरण अनशन भी किया जाएगा।

पत्रकारों ने कहा कि हम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं सिस्टम के अंतर्गत ही हम अपनी मांग को प्रशासन के समक्ष रखते हुए आए हैं लेकिन अब उनका सब्र टूट चुका है। वही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नवलगढ़ विधायक डॉक्टर राजकुमार शर्मा ने पत्रकारों की समस्या को ध्यान में रखते हुए अपने कोटे से इस कमरे निर्माण की राशि उपलब्ध करवाई थी। वहीं पिछले वर्ष पी आर ओ ऑफिस के नए भवन की छत पर पत्रकारों के बैठने के लिए अलग से व्यवस्था करवाने के लिए 16 लाख रुपए देने की घोषणा की थी लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वही विधायक और वर्तमान में मुख्यमंत्री सलाहकार ने पत्रकारों की समस्या को ध्यान में रखते हुए यह राशि उपलब्ध करवाई गई थी जब मुख्यमंत्री के सलाहकार द्वारा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए जो कमरा बनाया गया था उसके लिए भी पत्रकारों का आवाज उठानी पड़ रही है इससे बड़ी संवेदनहीनता का उदाहरण और क्या हो सकता है।

Related Articles

Back to top button