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साध्वी माया उर्फ मायानन्द सरस्वती की जमानत अर्जी खारीज

सरदारशहर, अपर सेशन न्यायाधीश चूरू ने साध्वी माया उर्फ मायानन्द सरस्वती की जमानत अर्जी को दोनो पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद खरीज कर दिया। अभियुक्त प्रार्थीया साध्वी माया उर्फ मायानन्द सरस्वती की ओर से अधीवक्ता राजेन्द्र राजपुरोहित ने 16 अक्टूबर को जमानत के लिए अपर सेशन न्यायालय में पेश किया था। जिसपर न्यायाधीश सुरेशचंद बंसल ने सुनवायी कर जमानत प्रार्थना को खारीज कर दिया। उन्होने आदेश में लिखा कि अभियुक्त प्रार्थीया माया पर प्रथमत: धारा 420, 465, 467, 468, 471, 120 बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोप लगाये गये हैं। अभियुक्त प्रार्थीया पर प्रथमत: यह आरोप है कि उसने अपने अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर स्वामी सेवानन्द ट्रस्ट की ट्रस्टडीड, ट्रस्ट के संबंध में लिये गये प्रस्ताव, बैंक से संबंधित कार्यो एवं उन दस्तावेजों में कूट रचना कर स्वयं को उक्त ट्रस्ट की ट्रस्टी एवं निदेशक बताते हुए ट्रस्ट द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं में उक्त दस्तावेज का बिना अधिकार के दुरूपयोग किया एवं अभियुक्त प्रार्थीया ने अपने अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर बड़ौदा राजस्थान ग्रामीण बैंक रतनगढ़ में खाता स्वामी सेवानन्द शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय सरदारशहर के नाम से खुलवाया जिसमें आधार कार्ड प्रस्तुत किया उसमें स्वयं का नाम माया पुत्री स्वामी सेवानन्द अंकित किया। जबकि अन्य दूसरे आधार कार्ड में अभियुक्त प्रार्थीया का नाम माया पुत्री सूरजभान अंकित है एवं उक्त खाते में छात्रों की फीस से प्राप्त हुए कुल रूपयों में से 31लाख रूपयें बैंक में से अपने एवं अपने परिचितों के नाम से निकाल कर अपने निजी उपभोग के काम में लिये। जबकि उसे ऐसा अधिकार प्राप्त नही था। इस संबंध में केस डायरी में उपलब्ध स्वामी सेवानन्द ट्रस्टडीड वर्ष 1983 लिये गये प्रस्तावों अन्य दस्तावेजों तथा बैंक से संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया गया। अभियुक्त प्रार्थीया के विरूद्ध आरोपित अपराध बाद अवलोकन अत्यन्त गंभीर प्रकृति के प्रतीत होते हैं तथा अभियुक्त प्रार्थीया के विरूद्ध उक्त आपराधिक मामले के अलावा अन्य आपराधिक मामले भी उक्त ट्रस्ट की संपत्तियों के संबंध में पंजीबद्ध हुए हैं। अत: प्रकरण के समस्त तथ्यों व परिस्थितियों के दृष्टिगत मामले के गुणावगुण पर बिना कोई टिप्पणी किये आरोपित अपराध की गंभीरता के मद्देनजर अभियुक्त प्रार्थीया को जमानत की सुविधा का लाभ दिया जाना न्यायोचित प्रतीत नही होता। मामले में आरोपित प्रार्थीया की ओर से राजेन्द्र राजपुरोहित अधिवक्ता और परिवादी की ओर से अपरलोक अभियोजक रोशनसिंह राठौड़ व नरेश भाटी अधिवक्ता ने पैरवी की।
फोटो केप्सन – 24 आरोपित साध्वी माया उर्फ मायानन्द सरस्वती।

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