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अठारह पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम जिस प्रकार नदियों में गंगा – कृष्णानंद महाराज

रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] शक्ति पीठ जीण माता मंदिर में आयोजित श्रीमद देवी भागवत महापुराण की कथा का वर्णन करते हुए दूसरे दिन कथा वाचक कृष्णानंद महाराज ने कहा कि अठारह पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम है, जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवों में शंकर, काव्यों में रामायण, प्रकाश स्त्रोतों में सूर्य, शीतलता और आह्लाद में चंद्रमा, कर्मशीलों में पृथ्वी, गंभीरता में सागर और मंत्रों में गायत्री आदि श्रेष्ठ हैं। यह पुराण श्रवण सब प्रकार के कष्टों का निवारण करके आत्मकल्याण करता है। भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। कृष्णानंद महाराज ने कहा कि इसकी महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक -आध श्लोक का उच्चारण करने वाला भक्त भी भगवती की कृपा का पात्र बन जाता है इसलिए जितना भी समय मिले हमें भगवती के नाम का सिमरन करना चाहिए। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है। कृष्णानंद महाराज ने कहा कि सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है, जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, वे एकमात्र भगवती ही हैं।आयोजन में झाबरमल पिपलवा, शंकरलाल निरानिया, जीवराज सिंह, कान्हाराम होदकासिया, नारायण प्रजापत, गजानंद चौटिया, भागीरथ सोनी, राजेंद्र सिंह बिदावत, अभिजीत पारीक, परमेश्वर लाल सैनी, गोविंद प्रसाद नाई, किशनाराम बबेरवाल, ओमप्रकाश कठौड़, नरेंद्र कुमार स्वामी आदि श्रोता जन उपस्थित थे।

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