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चूरू, साहित्य, संस्कृति और विरासत पर केंद्रित तीन दिवसीय चूरू महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को संवाद मंच पर राजस्थानी-हिंदी के चर्चित लेखक कुमार अजय की नई पुस्तक ‘आत्माओं में घुले दुख’ का लोकार्पण किया गया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश माथुर, लेखक-पत्रकार त्रिभुवन, लेखक-प्रकाशक मायामृग, पत्रकार अरविंद चोटिया, पत्रकार आनंद चौधरी, व्यंग्य लेखक प्रभात गोस्वामी, कवि-विचारक कमल कोठारी एवं चूरू भाजपा जिलाध्यक्ष बसंत शर्मा ने पुस्तक का विमोचन किया और कुमार अजय की लेखकीय प्रतिबद्धता की सराहना की।
इस दौरान साहित्य अकादेमी अवार्डी राजस्थानी लेखक भरत ओला, जिला परिषद सीईओ श्वेता कोचर, डॉ मदन लढ़ा, राज बिजारणियां, कमल किशोर पीपलवा, देवीलाल महिया, घनश्याम नाथ कच्छावा, डॉ सुरेंद्र डी सोनी, अमित तिवारी, मनमीत, ओम डायनामाइट, हरिमोहन सारस्वत रूंख, श्रीभगवान सैनी, छैलूदान चारण, मनीष कुमार, प्रमोद कुमार चमोली, मोहन सोनी, अभिषेक सरोवा, दलीप सरावग, बजरंग हर्षवाल सहित बड़ी संख्या में कवि-लेखक, बुद्धिजीवी, अधिकारी, जनप्रतिनिधि, साहित्यप्रेमी एवं गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। संचालन प्रीति सक्सेना, चंद्रशेखर पारीक ने किया।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में बतौर उप निदेशक पदस्थापित हिंदी-राजस्थानी लेखक कुमार अजय की डायरी विधा में यह दूसरी पुस्तक है। ‘आत्माओं में घुले दुख’ डायरी का कैनवास विस्तृत है। इसके फ्रेम में महामारी है, प्रेम है, समाज है, राजनीति है। कहीं कविता, कहीं विट, कहीं विचार के साथ अपने समय को अभिव्यक्त करती यह डायरी समाज में घट रही विभिन्न घटनाओं पर एक अलग एवं विशिष्ट दृष्टिकोण से सोचने को बाध्य करती है।
उल्लेखनीय है कि कुमार अजय की पहली डायरी पुस्तक ‘मैं चाहूं तो मुस्करा सकता हूं’ और राजस्थानी किताब ‘रिंकी टेलर’ काफी चर्चित रही हैं। कुमार अजय अपनी पहली पुस्तक ‘संजीवणी’ के लिए साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की तरफ से युवा पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।