एचबीएनसी की गुणवत्ता और कवरेज के लिए जिला आशा समन्वयक केशर देव पारीक का जयपुर में सम्मान
सीकर, चिकित्सा विभाग के नवजात शिशु की घर पर की जाने वाले देखभाल के मामले में सीकर जिला प्रदेश में पहले पायदान पर रहा है। यही नहीं इसमें भी घर पर आशा सहयोगिनी व एएनएम द्वारा की जाने वाले जांच की गुणवत्ता भी निदेशालय स्तर से करवाई गई जांच में अन्य जिलों से बेहतर पाई गई। नव प्रसूता महिलाओं तथा नवजात शिशुओं को जिले में विभाग की ओर से गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ अजय चैधरी ने बताया कि विभाग की ओर से वर्ष 2021-22 में जिलेभर में 36 हजार नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर पर जाकर जांच की गई है। इस पर वर्ष 2021-22 में चिकित्सा विभाग सीकर एचबीएनसी कार्यक्रम में प्रदेश भर में प्रथम स्थान पर रहा है। जयपुर में हुए समारोह में इस उपलब्धि पर जिला आशा समन्यवक केशर देव पारीक को निदेशक आरसीएचस डाॅ केएल मीणा व अन्य विभागीय अधिकारियों ने प्रतीक चिन्ह व प्रमाण पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।
स्वास्थ्य कर्मी छह बार घर पर जाकर करते जांच
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ निर्मल सिंह ने बताया कि जिले में आशा सहयोगिनियों व एएनएम द्वारा एचबीएनसी के तहत प्रसव के 42 दिन तक घर पर जाकर जच्चा व बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल की जाती है। चिकित्सालय में प्रसव होने पर प्रथम विजिट प्रसव के तीन बाद और दूसरी विजिट सातवें, तीसरी विजिट 14वें दिन की जाती है। वहीं चैथी विजिट 21वें दिन, पांचवी विजिट 28वें दिन और छठवीं विजिट 42वें दिन की जाती है। घर पर प्रसव होने पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सात विजिट की जाती है। इसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा नवजात शिशु का वजन की माप, उसके शरीर का तापमान, सांस लेने की गति, जन्माजात विकृति या बीमारी तो नहीं है, आदि जांचें की जाती है। विशेष रूप से निमोनिया, स्तनपान आदि पर अधिक फोकस किया जाता है। साथ ही नव प्रसूता के स्वास्थ्य की भी जांच की जाती है। वहीं उसे नवजात शिशु की देखभाल तथा स्तनपान करने के बारे में जानकारी भी दी जाती है।