दांतारामगढ़, [प्रदीप सैनी ] शेखावाटी दांतारामगढ़ की भूमि वीर प्रसूता रही हैं। उसकी कोख से वीरों के साथ-साथ अनेक सिपाहियों ने भी जन्म लिया हैं। अमर सेनानियों का गौरवशाली इतिहास जहां हमें मातृभूमि के लिए बलिदान का संदेश देता है वहीं कर्त्तव्यपरायणता की सीख भी मिलती हैं। यहां अनेक जातियों में वीर हुए हैं। वीर सैनिक अदम्य साहस के साथ वतन की खातिर अपने प्राण न्योछावर करना, शरणागत की रक्षा के लिए शीश कटा सकते हैं लेकिन शीश झुका नहीं सकने वाले वीरों के इतिहास से पता चलता है कि वतन की रक्षा के लिए बचपन से ही घुट्टी पिलाई जाती हैं। सेना में भर्ती के लिए सर्दियों में अलसुबह व शाम को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दांता के सेठ बद्रीनारायण खेतान खेल मैदान में दौड़ व विभिन्न तरह के व्यायाम कर युवा भर्ती के लिए तैयारी कर रहे है। खेल मैदान में इन सर्दियों में भी युवा सेना में भर्ती होने के लिए पसीना बहा रहे हैं। मजदूरों की तरह 35-35 किलो के मिट्टी से भरें बोरे उठकर दौड़ लगा रहे हैं। फिजिकल डिफेंस अकेडमी के युवा सेना में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहते हैं। कोच मुकेश गुर्जर ने बताया कि वह नौजवान लड़कों को एक वर्ष से सेना की तैयारी करवा रहे हैं।