उपचार द्वारा आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस में प्रदेशाध्यक्ष डॉ कमल चंद सैनी ने लगाया आरोप
एमओयू की अक्षरश: पालना नहीं की गई तो दोबारा होगा आंदोलन
झुंझुनू, उपचार राजस्थान के प्राइवेट क्लिनिक व हाॅस्पिल्स का राज्य स्तरीय संगठन है। उपचार द्वारा आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस में प्रदेशाध्यक्ष डॉ कमल चंद सैनी ने बताया कि राजस्थान सरकार ने राज्य की जनता को फ्री इलाज देने के बहाने राजस्थान के निजी अस्पतालों के ऊपर एक ऐसा कानून थोपने की कोशिश की जिसमें सिर्फ फ्री इलाज को केंद्र में रखा गया तथा चिकित्सको व अस्पतालों के हितों की अनदेखी की गई । साथ ही निजी अस्पतालों को अफसरशाही के चंगुल में फसाने का प्रयास भी किया गया ।यह कानून चिकित्सक संगठनों के पुरजोर विरोध के बाद भी विधानसभा से पास किया गया लेकिन जब पूरे राजस्थान का चिकित्सक वर्ग इस कानून के खिलाफ लामबंद हुआ तो 15 दिनों के ऐतिहासिक आंदोलन के बाद सरकार ने चिकित्सकों की बात सुनी और एक एमओयू साइन किया जिसमें प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और कुछ चुनिंदा अस्पताल जिन्होंने सरकार से निशुल्क या सस्ती दरों पर जमीन ली थी उनके अतिरिक्त शेष सभी अस्पतालों को आरटीएच के दायरे से बाहर करने पर लिखित सहमति जताई थी ।साथ ही सरकार इस बात पर भी तैयार हुई कि इस क़ानून के नियम बनने के लिए जो भी कमेटी गठित की जाएगी उसमें चिकित्सक संगठनों के 2 सदस्यों को नामित किया जाएगा ताकि कमेटी में चिकित्सक संगठनों का उचित प्रतिनिधित्व रहे और उनके हितों के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं हो लेकिन आप सब जानते हैं कि सरकार ने 2 दिन पहले ही आरटीएच से संबंधित नियम बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है जिसमें किसी भी चिकित्सक संगठन के सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है। अब सरकार अपने ही द्वारा किए गए एमओयू से पलट रही है सरकार इस राज्य के 50,000 चिकित्सक और 4000 निजी अस्पतालों के साथ किए गए वादे से वादाखिलाफी कर रही है । सरकार की मंशा आरटीएच के मामले में शुरू से ही ठीक नहीं थी और अब कमेटी के गठन को देखने के बाद यह साबित हो जाता है कि सरकार की नजर सिर्फ आने वाले विधानसभा चुनाव में वोटों पर है ना ही उसे राज्य के चिकित्सक समाज की चिंता है और ना ही जनता की
उपचार, राजस्थान राज्य के प्राइवेट अस्पतालों का सबसे बड़ा संगठन होने के नाते और जनता के प्रति संवेदनशीलता रखते हुए मुख्यमंत्री और राजस्थान सरकार से अपील करता है कि चिकित्सक और अस्पतालों के ऊपर लागू किए जाने वाले कानून के नियमों की कमेटी में चिकित्सक संगठनों के सदस्यों को भी शामिल करें ताकि एक ऐसा कानून बनकर निकले जो जनता को फ्री और सुलभ इलाज देने के साथ-साथ चिकित्सक और अस्पतालों को भी सुरक्षित महसूस कराएं और उनके ऊपर किसी भी प्रकार का अनावश्यक आर्थिक दबाव तथा अफसरशाही का बेवजह हस्तक्षेप भी नहीं रहे।
हम सरकार को कड़े शब्दों में यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर चिकित्सक संगठनों के साथ किए गए एमओयू की अक्षरश: पालना नहीं की गई तो चिकित्सकों को अपने हितों और अस्तित्व को बचाने के लिये दोबारा से आंदोलन की राह पर चलना पड़ेगा जिसके कारण राज्य की जनता को अनावश्यक ही पीड़ा झेलनी पड़ेगी । हम सरकार से और जनता के साथ इस प्रकार के टकराव से बचना चाहते हैं लेकिन हम हमारे पेशे के अस्तित्व के साथ किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं सकते हैं
उपचार की सरकार से सिर्फ एक ही मांग है कि वो हमारे धैर्य की परीक्षा न ले और चिकित्सकों और सरकार के बीच हुए एमओयू की अक्षरशः पालना कराए और आरटीएच के अन्तर्गत बनने वाले नियमों में जनता के साथ-साथ चिकित्सकों के हितों को भी ध्यान में रखा जाए ताकि राज्य की जनता को एक बेहतर कानून मिल सके और चिकित्सक समुदाय को भय और तनाव रहित वातावरण मिल सके। इसके अलावा एमओयू में फायर एनओसी की वैधता पांच साल करने, आवासीय कॉलोनियों में बने अस्पतालों का नियमीकरण और सिंगल विंडो सिस्टम के भी आदेश जारी नहीं किए है उनको भी तुरंत प्रभाव से जारी करे।
आज आयोजित प्रेस वार्ता को उपचार प्रदेशाध्यक्ष डा कमल चंद सैनी, प्रदेश उपाध्यक्ष डा अरूण सुरा, उपचार जिला अध्यक्ष डा राजेश कटेवा और जिला कोषाध्यक्ष डा संजय फांडी ने संबोधित किया । वक्ताओं ने समस्त एनजीओ व सामाजिक संगठनों से भी अपील की है कि वे भी सरकार से चिकित्सा समुदाय के समर्थन में मांग करें।