आरटीआई के मामले को लेकर झुंझुनू जिला कलेक्टर ने सोपी थी उपखंड अधिकारी झुंझुनू को जांच
आरटीआई की गोपनीयता भंग होने से जुड़ा है मामला, पत्रकार को किया गया प्रताड़ित
झुंझुनू, झुंझुनू जिला मुख्यालय का आरटीआई से जुड़ा हुआ पत्रकार से संबंधित एक मामला जिसकी जाँच झुंझुनू जिला कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी झुंझुनू को सौंपी थी कि लेकिन जांच है कि जो सरकती ही नहीं है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पत्रकार नीरज सैनी द्वारा लोक सूचना अधिकारी झुंझुनू जिला कलेक्टर के यहां पर आरटीआई के तहत किए गए आवेदन पत्र के गोपनीयता भंग होने के मामले की। जिसकी जांच झुंझुनू जिला कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी झुंझुनू को सौंपी थी। झुंझुनू जिला कलेक्टर के आदेश जो की 10 अगस्त 2023 को जारी हुए थे उसके ऊपर उपखंड अधिकारी झुंझुनू कार्यालय ने 24 अगस्त 2023 को सिर्फ इतना साथ संज्ञान लिया कि पत्रकार नीरज सैनी को एसडीएम ऑफिस द्वारा फोन करके सूचना दी गई और तीन दिन के कार्यालय दिवस में आकर उपस्थित होकर जांच अधिकारी के समक्ष साक्ष्य सबूत पेश करने और बयान देने के लिए कहा गया। यानि झुंझुनू जिला कलेक्टर कार्यालय से जारी आदेश पर एसडीएम ऑफिस को महज संज्ञान लेने में ही 14 दिन का समय लग गया, खैर यह तो अलग बात है। लेकिन इसके बाद पत्रकार नीरज सैनी द्वारा एसडीएम ऑफिस के लगातार चक्कर लगाए जा रहे हैं। लेकिन जाँच है कि राई जितनी दुरी भी तय करने के लिए राजी नहीं है।
तत्कालीन एसडीएम सुप्रिया के समय बयान लेने के लिए जो कर्मचारी अधिकृत किए गए थे उनके नहीं मिलने पर पत्रकार द्वारा एसडीएम सुप्रिया को इस मामले में अवगत करवाया गया तो उन्होंने उपखंड अधिकारी कार्यालय के दूसरे कर्मचारियों को बयान देने के लिए आगे की तारीख देने के लिए कहा और मौखिक रूप से मौके पर ही एसडीएम की उपस्थिति में 1 सितंबर 2023 नई तारीख दे दी गई। लेकिन इसी बीच एसडीएम और एएओ का विवाद सामने आ गया। इसके बाद उनके स्थान पर एसडीएम कविता गोदारा को लगा दिया गया लेकिन एसडीएम कार्यालय में बयान देने के लिए रोज पत्रकार नीरज सैनी को चक्कर काटने पड़ रहे हैं लेकिन अभी तक किसी ने भी बयान दर्ज करने की फुर्सत नहीं दिखाई। आखिर क्या समझा जाए कि जिला मुख्यालय के जिन अधिकारी या कर्मचारी से संबंधित जुड़ा हुआ यह मामला है, उनके द्वारा क्या कोई दबाव है जिसके चलते जांच को आगे क्रियान्वित नहीं किया जा रहा है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि झुंझुनू जिला कलेक्टर के आदेशों के भी यहां पर पालना नहीं की जा रही है, आखिर ऐसी कोनसी मजबूरी है। वही झुंझुनू कोतवाली पुलिस द्वारा भी इस मामले की जांच की जा रही है लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन लोगों को इस मामले में बयान देने के लिए बुलाया गया था वह भी अभी तक पूरे नहीं पहुंचे हैं। इन सभी बातों को लेकर सवाल खड़ा होना लाजमी है कि जब झुंझुनू जिला मुख्यालय के पत्रकार के द्वारा उठाए गए मामले को लेकर इस तरीके से ढिलाई बरती जा रही है तो आम जनता से जुड़े हुए कार्य प्रशासन में बैठे हुए लोगों द्वारा किस गति से किए जाते होंगे। या फिर ऐसा जांच अधिकारियों के सामने कौन सा दबाव है जिसके चलते यह जांच है कि जो जिला कलेक्टर के आदेश होने के बावजूद भी आगे सरकने का नाम नहीं ले रही है। वही पत्रकार नीरज सैनी का कहना है कि कुछ राजनीती से जुड़े सफेदपोश लोगो की सरपरस्ती भी इन अधिकारी व कर्मचारी को मिली हुई है, जिनका भी शीघ्र ही खुलासा किया जायेगा। उनको मानसिक रूप से और शारीरिक रूप में भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी इन लोगो द्वारा की गई है। वही किसी भी प्रकार की हानि यदि इस दौरान पत्रकार को पहुँचती है झुंझुनू कलेक्टर कार्यालय को इसका जिम्मेदार माना जायेगा, इसका ज्ञापन भी झुंझुनू जिला कलेक्टर को सौंपा जा चूका है। यदि पुलिस और प्रशासनिक जाँच निष्पक्ष रूप से नहीं होती है तो इस मामले में न्यायपालिका की शरण ली जायेगी।