आंखों देखी कानों सुनी, इलेक्शन एक्सक्लूसिव
सरदारशहर, [जगदीश लाटा ] विधानसभा चुनाव के लिए हो रहे प्रचार प्रसार के दौरान विभिन्न दलों के नेताओं और उम्मीदवारों के द्वारा अनर्गल बातें की जा रही है और गत दिनों तो परस्पर आरोप लगाकर चेतावनी भी दी गई थी। हालांकि कयी प्रत्याशी सम्मान जनक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं ।शनिवार को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए करीब एक पखवाड़े तक हुए प्रचार के दौरान विविध पार्टियों के तथा निर्दलीय भी विभिन्न उम्मीदवारों की ओर से अनवरत किए गए प्रचार प्रसार में कहीं अनर्गल बातें और चेतावनी दी गई तो कतिपय उम्मीदवार मजबूरी के चलते गरज और कथित रूप से पदचंपी करते तो कुछेक सम्मान जनक एवं सभ्य भाषा का प्रयोग करते भी देखे गए।
निर्दलीय प्रत्याशी सभापति राजकरण चौधरी ने, जिनको कांग्रेस की ओर से निष्कासित कर दिया गया, अपने प्रचार में पुराने राजनीतिज्ञ की भांति खुद को जनता का बेटा बताया और प्रचार वाहन के पोस्टर पर लिखा गया, नेता नहीं बेटा बनकर आया हूं विकास का संकल्प लाया हूं। हालांकि शहर में विगत वर्ष नगर परिषद की ओर से चौधरी ने काफी विकास कार्य करवाए थे, सौंदर्यीकरण की दिशा में भी कुछ काम शुरू ही किया था कि इस वर्ष के प्रारंभ में ही विधायक के साथ चौधरी के मनमुटाव की चर्चा शुरू हो गयी थी। उसके बाद चौधरी के कथित जिद्द के कारण शहर में विकास कार्यों पर विराम सा लग गया।उधर प्रचार के दौरान चुनावी नुक्कड़ और आम सभाओं में विधायक ने सभापति पर तो आरोप नहीं लगाया पर परिषद द्वारा पट्टा वितरण अभियान की कथित बुराई एवं भेदभाव का आरोप लगाते हुए एस आई तथा छुटभैय्ए नेता को चुनौती दी और फर्जी फर्म बंद करवाने की बात कही। फिर भी दिवंगत पूर्व विधायक पंडित भंवर लाल शर्मा को लोगों द्वारा कथित तौर पर यायावर मान लेने के कारण एवं विधायक की ओर से पिछले नौ माह में किए गए कार्यों के तुलनात्मक सट्टा बाजार में भी शर्मा का पलड़ा भारी माना जा रहा है। एक मुख्य वजह जनचर्चा के अनुसार गैर जाट लोगों में इन दिनों किसी विशेष समुदाय के कारण आशंका की कथित कल्पना भी शामिल बताई जाती है।
भाजपा उम्मीदवार राजकुमार रिणवा ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में भाषा का संयम कभी नहीं खोया । हमेशा दूसरों को आदरास्पद शब्दों से संबोधित करते रहे हैं पर राज्य में कथित भावी भाजपा सरकार की संभावना के बावजूद रिणवा पूर्व में मंत्री रहने पर भी रतनगढ़ के निवासी होने से राजनीतिक क्षेत्रों में इनका पक्ष कम आंका जा रहा है।
जैसा कि जगदीश लाटा पत्रकार को लोगों ने बताया