बुहाना [सुरेंद्र डैला ] उपखंड के काकड़ा गांव के राजपाल पुत्र रतिराम जाति मेघवाल निवासी काकड़ा 27 मई को 11 kv की विद्युत लाइन से करंट लगने से दोनों पैर गवा बैठे। वही आज के दिन जीवन यापन के लिए कोई जरिया नहीं है जिसके चलते अपनी बीमारी के लगभग तीन लाख तीस हज़ार रुपए खर्च कर चुका है सिर्फ आज धड़धड़ बचा हुआ है। जिसकी स्थिति दिल को दहला देने वाली है। अभी तक कोई भी सरकारी लाभ नहीं मिला न कोई सरपंच से न कोई प्रधान से न कोई प्रशासन से। आज एक वक़्त की रोटी के भी लाले पड़ रहे हैं। इस घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी है कि अपने दो बच्चों एवं पति को शाम का खाना तक देने में असमर्थ है। न कोई शौचालय है न कोई आर्थिक सहायता मिली है। दो बच्चे हैं स्कूल भी आ जा नहीं सकते न पक्के मकान है सरकार बड़े बड़े वादे करती है प्रधानमंत्री जन आवास योजना सुलभ शौचालय विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ देती है पर इस परिवार को कोई भी आर्थिक सहायता अब तक भी नहीं मिली है। यह एक ऐसी घटना है कि हर किसी व्यक्ति के दिल को झकझोर कर रख देती है। बुहाना के काकड़ा गांव में तड़प तड़प के जी रहे हैं और मौत एवं जीवन के बीच झूल रहे पीड़ित परिवार ने रोते हुए अपनी व्यथा व्यक्त की। खाने के लिए कुछ भी मेरे पास नहीं बचा है शाम का खाना भी नसीब नहीं होता है। चुनाव के टाइम तो लोग बड़े बड़े वादे करके जाते हैं पर जमीनी धरातल पर स्थिति चिंतनीय बनी हुई है। वही मुफलिसी के इस दौर में बुधवार को एनजीओ श्री शरदा कल्याण सर्विस ट्रस्ट झुंझुनू टीम आशा की किरण बनकर पहुंची। जिसके जिला अध्यक्ष सुरेश सियाग, विकास बलोदा और सुमेर सिंह पहुंचे तथा उन्होंने डेढ़ महीने का राशन सामग्री पीड़ित परिवार को दी है। उन्होंने बताया है कि हम आगे भी इनकी आर्थिक सहायता करना चाहते हैं जिसके लिए हम 10 या 15 दिन के अंदर इनके आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाएंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार भी इस और ध्यान दें इन्हें सरकारी योजनाओं का कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है जैसे कि प्रधानमंत्री जन आवास योजना, सुलभ शौचालय इत्यादि। पीड़ित परिवार से जब मीडिया टीम ने पूछा तो उन्होंने बताया कि मुझे पहले भी हिन्दू क्रांति विकास डूमोली संगठन से सहायता प्राप्त हुई और फिर आज दोबारा एनजीओ संगठन ने दी सहायता दी है। पर मुझे सरकारी योजनाओं का कोई भी लाभ नहीं मिला है। पीड़ित ने तत्काल सरकारी सहायता की मांग भी की है।