Video News – सूचना आयुक्त एम एल लाठर ने लगाई झुंझुनू कलेक्ट्रेट से जुड़े आरटीआई के मामले में लताड़
लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुंझुनू को किया गया था सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन
झुंझुनू, राजस्थान राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त मोहनलाल लाठर ने झुंझुनू कलेक्ट्रेट से जुड़े हुए एक आरटीआई के मामले में कोर्ट रूम में ही प्रत्यार्थी की तरफ से उपस्थित पक्ष को कोर्ट में लताड़ लगाई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पत्रकार नीरज सैनी द्वारा लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुन्झनू के यहां पर सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन कर जानकारी मांगी थी जिसमें समय व्यतीत होने पर भी जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने प्रथम अपील अधिकारी जिला कलेक्टर झुन्झनू के यहां पर भी की थी लेकिन उसके उपरांत भी उनका कोई जानकारी नहीं दी गई। जिसके चलते पत्रकार सैनी द्वारा द्वितीय अपील राजस्थान राज्य सूचना आयोग में की गई और इस अपील की सुनवाई 7 फरवरी 2024 को सूचना आयुक्त मोहनलाल लाठर के कोर्ट में हुई। वही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोक सूचना अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला कलेक्टर झुन्झनू ने इसमें उपस्थित होने के लिए जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह को अधिकृत किया था लेकिन उनकी तरफ से सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी विकास चाहर सुनवाई में उपस्थित हुए। सूचना आयुक्त लाठर ने पत्रावली को देखते ही तुरंत ही मौके पर उपस्थित सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी को लताड़ लगाते हुए कहा कि बदमाशियां करते हो बदमाशियां करना बंद कर दो। वहीं सूचना आयुक्त ने कहा कि किस तरह से बिंदुवार सूचना अपीलार्थी को दी जाती है इतना भी समझ में नहीं आ रहा। इनको बिंदुवार सूचना दी जाए और मौके पर ही अपीलार्थी सैनी को सूचना उपलब्ध कराने के लिए कहा। वही इस दौरान कोर्ट रूम में ही सूचना आयुक्त लाठर ने प्रत्यार्थी पक्ष को दो-तीन बार जमकर लताड़ लगाते हुए कहा कि बहुत बदमाशियां करते हो मुझे सब पता है। वही अपीलार्थी से जब पूछा गया कि आपको सूचना दी गई तो सैनी ने कहा कि मुझे मांगी गई सूचना के संदर्भ में दो बिंदुओं के बारे में तो जानकारी आज तक नहीं दी गई है। प्रत्यार्थी पक्ष की तरफ से उपस्थित सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी विकास चाहर को कोर्ट रूम में ही दो-तीन बार सूचना आयुक्त की लताड़ का सामना करना पड़ा। वही पत्रकार सैनी को मौके पर ही सूचना उपलब्ध कराने के लिए प्रत्यर्थी पक्ष को मौखिक रूप से भी आदेश दिया गया। वही सूचना आयोग की तरफ से जो निर्णय पारित किया गया है उसमें लिखा गया है कि अपीलार्थी ने 18 जुलाई 2023 को अपने आवेदक द्वारा चार बिंदुओं में सूचना चाही थी सूचना नहीं मिलने पर आक्षेप पर अंतत: आयोग स्तर पर द्वितीय अपील संस्थित कराई है। आयोग द्वारा जारी नोटिस के क्रम में प्रत्यर्थी पक्ष द्वारा कोई विधिवत अपीलोत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया तथापि मौखिक कथन के माध्यम से अवगत कराया गया कि अपीलार्थी को सूचना प्रेषित की जा चुकी है। वहीं निर्णय में लिखा गया कि पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी पक्ष द्वारा अपीलार्थी के सूचना आवेदन के निस्तारण के संबंध में आयोग को हस्तगत अपील का प्रति उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया है। अपीलार्थी के अनुसार भी उसे सूचना प्राप्त नहीं हुई है। उपस्थित प्रत्यर्थी द्वारा अपीलार्थी को सूचना प्रेषित किए जाने के संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। सुनवाई के समय प्रत्यर्थी द्वारा अवलोकन हेतु प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में अपीलार्थी के सूचना आवेदन के निर्णय संबंधित कोई दस्तावेज नहीं पाया गया। अतः प्रत्यार्थी को निर्दिष्ट किया जाता है कि इस आदेश प्राप्ति के सात दिवस में अपीलार्थी के सूचना आवेदन का सम्यक रूप से निस्तारण करते हुए सूचना अधि प्रमाणित कर पंजीकृत डाक से अपीलार्थी को निशुल्क भिजवाना सुनिश्चित करें। इस खबर पर विस्तृत जानकारी के लिए विजिट करे वेबसाइट www.shekhawatiलाइव डॉट कॉम पर
कार्यालय में सब गोलमाल
वही इस आरटीआई से जुड़े हुए मामले में देखा जाए तो तस्वीर साफ है कि किस तरीके से सूचना के अधिकार की पालना जिले के शीर्ष कार्यालय में की जा रही थी। वही दिए गए निर्णय में राज्य सूचना आयोग ने भी माना है कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा अपीलार्थी को सूचना प्रेषित किए जाने के संबंध में कोई भी साक्ष्य सुनवाई में प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इससे भी स्पष्ट है कि आरटीआई के मामलों को गोलमाल करके ही फाइलों में दबा दिया जाता है। वही सुनवाई के समय लोक सूचना अधिकारी के पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में अपीलार्थी के सूचना आवेदन के निर्णय संबंधित कोई दस्तावेज नहीं पाया गया, यह भी आयोग ने अपने निर्णय में स्पष्ट लिखा है।
यह थे मांगी गई सूचना के मूल बिंदु
वही आपको बता दें कि पत्रकार सैनी द्वारा लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुन्झनू के यहां पर आवेदन में चार बिंदुओं में सूचना मांगी गई थी जिसमें एक बिंदु था कि 16/6/2023 को जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी की ड्यूटी जिला कलेक्टर द्वारा लगाई जाने के संबंध में जानकारी मांगी गई थी। यहां पर आपको बताते चलें कि इससे पूर्व जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी के यहां पर एक सूचना के अधिकार के अंतर्गत पत्रकार सैनी द्वारा आवेदन किया गया था जिसकी जानकारी उनको नहीं दी गई जिस पर उन्होंने प्रथम अपील निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जयपुर के यहां पर की थी। उस दिन झुंझुनू जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए थे और उन्होंने इसका कारण झुंझुनू जिला कलेक्टर द्वारा आवश्यक कार्य में ड्यूटी लगाया जाना बताया था। वही इस आरटीआई में दूसरा मुख्य बिंदु यह था कि झुंझुनू कलेक्ट्रेट में ऐसे कितने अधिकारी और कर्मचारी हैं जो डेपुटेशन पर कार्यरत हैं इनसे संबंधित पूरी जानकारी मांगी गई थी। लेकिन विडंबना तो देखिए प्रशासन में बैठे हुए लोगों के संबंध में जानकारी से जुड़े हुए इस मामले को पूरी तरीके से गोलमाल कर दिया गया जो सूचना आयोग के निर्णय से भी स्पष्ट है।
आरटीआई के मूल आवेदन को किया गया था सोशल मीडिया पर वायरल
लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुन्झनू के यहां पर पत्रकार सैनी द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत जो आवेदन किया गया था उसके मूल आवेदन की फोटो खींचकर सोशल मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप में डाला गया था इसके बाद से पत्रकार सैनी पर विभिन्न प्रकार से दबाव बनाने का प्रयास भी किया गया था और अप्रत्यक्ष रूप से संभावित परिणामों की धमकियों से अवगत कराते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया गया था। वही व्हाट्सएप ग्रुप में जिसमें वायरल किया गया था उसमें पत्रकार सैनी के खिलाफ अशोभनीय बातें भी लिखी गई थी। इस पर पत्रकार सैनी ने उसे समय एक शिकायती ज्ञापन झुंझुनू जिला कलेक्टर, झुन्झनू जिला पुलिस अधीक्षक, राजस्थान राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त केंद्रीय सूचना आयोग नई दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय, मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, प्रधानमंत्री भारत सरकार को पूरे मामले से अवगत करवाया था इसके उपरांत तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा इस मामले की कंप्लेंट थाने में दर्ज करवाई गई थी जिसकी जांच भी कोतवाली पुलिस कर रही थी। वही काफी समय बाद तत्कालीन झुंझुनू जिला कलेक्टर खुशाल यादव ने भी उपखंड अधिकारी झुंझुनू को इस मामले की जांच करने के लिए निर्देशित किया था। इस जांच के पीछे भी पत्रकार सैनी को उपखण्ड कार्यालय झुंझुनू के भी कई बार चक्कर लगाने पड़े थे जिसकी भी एक बड़ी लंबी कहानी है।
पत्रकार सैनी का कहना है कि
इस आरटीआई से जुड़े हुए मामले पर प्रदेश और देश स्तर के विधिवेताओं के संपर्क में है तथा उच्च स्तर पर भी इसमें और कार्रवाई की जाएगी। वही सोशल मीडिया पर वायरल किये गए मूल आवेदन से जुड़ी हुई जाँच चल रही है इनको लेकर भी क्या वस्तु स्थिति है इससे अवगत होने के बाद आगामी कार्रवाई पर विचार किया जाएगा। वही उनका कहना था कि इस पूरी कार्रवाई में उन्हें बुरी तरीके से मानसिक रूप से तोड़ने का कुप्रयास किया गया था लेकिन बिना किसी दबाव और भय के इस कार्रवाई को वह अंजाम तक पहुंचाएंगे।