मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा
झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में संस्थान के कार्यालय लोहारू रोड़ सूरजगढ़ में हिंदी दिवस के उपलक्ष में धर्मपाल गाँधी की अध्यक्षता में ऑफलाइन व ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी इंद्रसिंह शिल्ला व विशिष्ट अतिथि जगदेव सिंह खरड़िया और राधेश्याम चिरानिया रहे। कार्यक्रम का प्रभारी कमल धमीजा फरीदाबाद को बनाया और ऑनलाइन कार्यक्रम का सफल संचालन प्रयागराज से रेनू मिश्रा दीपशिखा ने किया। कार्यक्रम में प्रयागराज से अर्पणा आर्या (ध्रुव) व प्रीति श्रीवास्तव, अलीगढ़ से पूनम शर्मा पूर्णिमा, देहरादून से डॉ. राकेश कपूर, लखनऊ से अलका अस्थाना, अनुजा मिश्रा व अष्ठाना महेश ‘प्रकाश’, हरिद्वार से पूजा अरोरा, जयपुर से सुनील खन्ना मुल्तानी, कुरुक्षेत्र से सूरजपाल सिंह, गौतमबुद्ध नगर से जयवीर सिंह अत्री, गुरुग्राम हरियाणा से सुनील कुमार शर्मा, मिर्जापुर से टीसी विश्वकर्मा, हसनपुर अमरोहा से एडवोकेट मुजाहिद चौधरी, कटक ओडिशा से संघमित्रा राएगुरु, दिल्ली से चंद्रमणि मणिका, झुन्झुनूं राजस्थान से अशोक जोरासिया, भागमती कांटीवाल व सुनील गांधी, उम्मेद सिंह, सज्जन कटारिया, दिनेश, अंजू गांधी आदि ने मातृभाषा हिंदी के सम्मान में काव्यपाठ व अपने विचार प्रस्तुत किये। हिन्दी भारत की आत्मा, श्रद्धा, आस्था, निष्ठा, संस्कृति एवं सभ्यता से जुड़ी हुई भाषा है। हमारे देश का नागरिक चाहे कोई अमीर हो या गरीब हो, किसी भी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय का हो, वो सिर्फ हिंदी से जुड़ा होता है। वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का आह्वान किया था। गांधी जी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, प्रयागराज जनपद की अध्यक्ष रेनू मिश्रा दीपशिखा व फरीदाबाद मंडल की अध्यक्ष कमल धमीजा ने कहा- हिंदी भाषा में सभी भावों को भरने की अद्भुत क्षमता है, यही कारण है कि हिंदी को भारत की जननी भाषा कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में हिंदी को मातृभाषा का दर्जा दिया गया है। यह महज भाषा नहीं बल्कि भारतीयों को एकता व अखंडता के सूत्र में पिरोती है। हिंदी को मन की भाषा कहा जाता है, जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, संसद से लेकर सड़कों तक और साहित्य से लेकर सिनेमा तक हर जगह संवाद का सबसे बड़ा पुल बनकर सामने आती है। हिंदी हमारे साहित्यकारों की संस्कृति थी। महात्मा गांधी ने भी एक बार कहा था कि, जिस प्रकार ब्रिटेन में अंग्रेजी बोली जाती है और सारे कामकाज अंग्रेजी में किए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार हिंदी को हमारे देश में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए। भारत की राष्ट्र भाषा को लेकर प्रारंभ से ही विवाद होता रहा है। इस संबंध में महात्मा गांधी कहते थे- “अगर हमें एक राष्ट्र होने का अपना दावा सिद्ध करना है, तो हमारी अनेक बातें एक-सी होनी चाहिए। भिन्न-भिन्न धर्म और सम्प्रदायों को एक सूत्र में बांधने वाली हमारी एक सामान्य संस्कृति है। हमारी त्रुटियां और बाधाएं भी एक-सी हैं। मैं यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि हमारी पोशाक के लिए एक ही तरह का कपड़ा न केवल वांछनीय है, बल्कि आवश्यक भी है। भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्त्वपूर्ण निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन्1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में 13 सितम्बर, 1949 के दिन बहस में भाग लेते हुए तीन प्रमुख बातें कही थीं- किसी विदेशी भाषा से कोई राष्ट्र महान् नहीं हो सकता। कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती। भारत के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसे आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें हिन्दी को अपनाना चाहिए। पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहस 12 सितम्बर, 1949 को चार बजे दोपहर में शुरू हुई और 14 सितंबर, 1949 के दिन समाप्त हुई। 14 सितम्बर की शाम बहस के समापन के बाद भाषा संबंधी संविधान का तत्कालीन भाग ’14 क’ और वर्तमान भाग 17, संविधान का भाग बन गया। संविधान सभा की भाषा विषयक बहस लगभग 278 पृष्ठों में मुद्रित हुई। इसमें डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और श्री गोपाल स्वामी आयंगार की महती भूमिका रही थी। हिंदी दिवस पर आयोजित काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाले सभी कवि व साहित्यकारों ने राजभाषा हिंदी के सम्मान में शानदार काव्यपाठ प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर किया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने सभी का आभार व्यक्त किया।