चूरू के पारखों के नोहरे में
स्थानीय पारखों के नोहरे में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में रविवार को संत हरिशरण महाराज ने कहा कि भागवत कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह वह विज्ञान है जो मानव को जीवन जीने का मार्ग बताता है। संत हरिशरण ने कहा कि साधना करनी चाहिए जो केवल जप तप से नहीं होती। साधाना भलाई कर भी की जा सकती है। व्यक्ति कुछ पल मौन रहे, किसी की बुराई नहीं करें, भला कर रहे हैं तो अहसान नहीं करें और भलाई के बदले फल की आशा नहीं करें, यह भी साधना है। क्योंकि व्यक्ति उदारता के साथ स्वाधीन तथा प्रेमी होकर परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कथा में कुंती, भीष्म, उत्तरा, 24 अवतारों व शुक-परीक्षित मिलन प्रसंग पर विस्तृत प्रसंग सुनाया।