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भारत पाक बॉर्डर पर घायल हुए पूर्व सैनिक को मदद की दरकार

शेखावाटी का क्षेत्र देश में सैनिको की खान कहा जाता है तो सर्वाधिक शहीद भी इसी क्षेत्र ने दिए है। शहीदों के लिए सरकार करोडो रूपये खर्च करके मुर्तिया लगवाने का काम कर रही है वही दूसरी तरफ सादुलपुर में एक विकलांग सैनिक राज्य सरकार से मदद के लिए बार बार गुहार लगा रहा है परन्तु उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जी हां हम बात कर रहे है भारत पाकिस्तान सीमा पर घायल हुए पूर्व सैनिक हरपालु निवासी राजकरण पूनिया की। पूर्व सैनिक सीमा पर गोली लगने से 80{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} विकलांग है फिर भी उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही है जबकि अन्य राज्य सरकारें सीमा पर घायल हुए सैनिकों को बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध करवा रही हैं। मगर उन्हें अब तक ट्राईसाईकिल स्कूटी जैसी विकलांगों को दी जाने वाली सुविधा नहीं मिली है जिसको लेकर वह जिला सैनिक अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों से मिल चुके हैं लेकिन उन्हें आज तक कोई मदद नही मिली है। आपको बता दे की राजकरण पुनिया 10 जून 1987 को जम्मू कश्मीर के पूछ सेक्टर में एलओसी पर तैनात थे तभी पाकिस्तान के साथ मुठभेड़ में उनको पेट में गोली लग गई जिसके कारण उनकी लिवर व डायफ्रॉम डेमेज हो गया जिसके बाद वे करीब 2 महीने तक आईसीयू में भर्ती रहे दिसंबर 1996 को रिटायरमेंट हो गए जो 80{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} विकलांग है मगर विकलांगों को दी जाने वाली सुविधाओं से भी वे अब तक वंचित हैं। राज्य सरकार से अभी भी तक उन्हें अन्य विकलांगो को ट्राई साईकल व स्कूटी जैसी दी जाने वाली सुविधा नही मिली हैं। पूर्व सैनिक ने बताया की पेंशन से सिर्फ दवाइयों का ही खर्चा चलता है व ओर कोई आय का जरिया नही होने से घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। यह उस राज्य की सरकार का हाल है जहा से देश की सेना में सबसे ज्यादा रण बाँकुरे जाते है। अब देखने वाली बात है कि शहीदों पर करोड़ो रूपये पानी की तरह बहाने वाली सरकार क्या इस विकलांग पूर्व सैनिक की तरफ भी ध्यान देगी क्या।

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